रविवार, 26 जनवरी 2025

विद्यापति और किंवदंती

विद्यापति शृंखला तीन

विद्यापति का जीवन जितना प्रमाणिक है, उतना ही किंवदंतियों से भरा हुआ भी। इसमें सबसे प्रमुख है "उगना महादेव" से जुड़ी कथा। मिथिला क्षेत्र में मान्यता है कि भगवान शिव विद्यापति की भक्ति और प्रतिभा से बहुत मुदित थे और उनकी सेवा-टहल के लिए रूप बदल कर रहने लगे। विद्यापति के इस टहलुआ का नाम उगना था। विद्यापति जहां जहां जाते, उगना साथ रहता।

विद्यापति

एक दिन की बात। विद्यापति कहीं जा रहे थे। प्यास लगी। उगना साथ था। उन्होंने अपनी चिंता से अवगत कराया। उगना तत्क्षण आंख से ओझल हुआ और कुछ क्षण में ही जल लेकर उपस्थित हुआ। विद्यापति ने जल ग्रहण किया तो उन्हें आश्चर्य हुआ। वह गंगातीरी कवि थे। लाया गया जल गंगा नदी का था जबकि उस स्थान से गंगा पर्याप्त दूर थीं। उन्होंने इस संबंध में पूछताछ की तब उगना अपने असली स्वरूप में आ गए। यह साक्षात् महादेव थे।


महादेव ने कहा कि इस रहस्य के विषय में किसी को बताया तो अंतर्धान हो जाऊंगा। विद्यापति के समक्ष दोहरा संकट था। भगवान का सानिध्य और उनसे टहल कराना! बस किसी किसी तरह निबाह हो रहा था।


एक दिन किसी कार्य में देरी होने पर विद्यापति की पत्नी ने उगना को डांट लगाई। कथा है कि विद्यापति की पत्नी सुशीला ने उगना को जलावन के लिए लकड़ी लाने को भेजा। उन्हें देरी हो गई तो झुंझला कर उन्होंने लकड़ी का एक चेरा दे मारा। यह भी किंवदंती प्रचलित है कि महादेव की पूजा के लिए स्थान लीपा गया था जिस पर उगना ने आसन जमा लिया। इससे क्षुब्ध होकर सुशीला ने डांट दिया। विद्यापति से न रहा गया। हस्तक्षेप करते हुए  उन्होंने सब कुछ बता दिया। इस प्रसंग को संकेतित करता हुआ विद्यापति का गीत "उगना रे मोर कत गेलाह" इतना करुण है कि सिहरन उठती है।

"उगना रे मोरे कतए गेलाह.

कतए गेलाह हर किदहु भेलाह

माँग नही बटुआ रुसी बैसलाह.

जोही-हेरी आनी देल हंसी उठलाह.

जे मोरा उगनाक कहत उदेस.

ताहि देब कर कंगन सन्देश.

नंदन वन बिच भेटल महेश.

गौरी मन हरकित मेटल कलेस.

विद्यापति भन उगानासं काज.

नही हितकर मोर तिहुअन  राज."

भगवान शिव अंतर्धान हो गए। वह #उगना_महादेव कहे गए। आज भी मिथिला क्षेत्र में एक कुआं है, जिसे इससे जोड़कर देखा जाता है। लोग अपने घर में महादेव का मंदिर नहीं बनाते हैं कि विद्यापति के यहां जब महादेव नहीं रुके तो उनके यहां क्यों रुकेंगे। विद्यापति की शिव के प्रति भक्ति का यह अनूठा उदाहरण है।

उगना महादेव मंदिर


एक किंवदंती है कि अंतिम समय में विद्यापति ने मां गंगा का सानिध्य चाहा। गंगा उनके पास आईं और अपने गोद में रखकर बेटे को मुक्ति प्रदान की।


अगले भाग में हम विद्यापति द्वारा विरचित ग्रंथों की चर्चा करेंगे।


#मैथिल_कोकिल #साहित्य #Vidyapati #कविता #मिथिलांचल 

विद्यापति : तीन

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सद्य: आलोकित!

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