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सोमवार, 6 जनवरी 2025

सब पर राम तपस्वी राजा।

सब  पर   राम  तपस्वी  राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा।।
और  मनोरथ  जो  कोइ लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

भाग - 16
चौदहवीं चौपाई
श्री हनुमान चालीसा शृंखला।
श्री हनुमान चालीसा शृंखला : चौदहवीं चौपाई


श्री हनुमान चालीसा की इस चौपाई में हनुमान जी की चर्चा तो है ही, भगवान श्रीराम के तपस्वी रूप की बात भी आई है। रघुकुल शिरोमणि श्रीरामचंद्र जी सभी राजाओं में श्रेष्ठ, तपस्वी कहा गया है। तपस्वी वह है जो तप करता है, तप्त होता है। जीवन के संघर्षों के ताप को सहकर जो निखरता है, वह तपस्वी है। यह गर्मी पाने के लिए, गर्म करने के लिए नहीं है। भगवान श्रीराम का जीवन तो संघर्ष का आख्यान ही है। प्रख्यात साहित्यकार रामधारी सिंह दिनकर ने रश्मिरथी में -
"वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।"
लिखकर पांडवों के तपस्वी रूप का उल्लेख किया है लेकिन रघुकुल शिरोमणि श्रीराम का तो तापस वेश ही है। निराला ने राम की शक्ति पूजा में इस रूप को बहुत अच्छी तरह प्रकट किया है। ऐसे तपस्वी श्रेष्ठ राजा रामचंद्र के सभी कार्य सफल करने वाले हनुमान जी हैं।

इस चौपाई में यह व्यक्त हुआ है कि भगवान श्रीराम के राजसी जीवन में भोग नहीं अपितु तप प्रधान है और इस चक्रवर्ती सम्राट का सकल काज हनुमान जी ने अपने हाथ से संपन्न किया है। हनुमान जी की वंदना करते हुए यह उल्लिखित होना प्रभु और सेवक दोनों की महानता का परिचय देता है। चालीसा की यह पंक्ति इसलिए भी बहुत महत्व की है।

इसी चौपाई में आता है कि श्री हनुमान जी की कृपा जिस पर बनी रहती है वह यदि कोई भी कामना प्रकट करे तो वह पूरी होकर रहती है। जो व्यक्ति कोई मनोरथ, कामना, अभिलाषा प्रकट करता है उसे जीवन में हनुमान जी की कृपा से अमित फल की प्राप्ति होती है।

यहां दो प्रमुख शब्द हैं -
१. मनोरथ, अर्थात मन में उपजी कोई कामना। वैसे तो हनुमान जी के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में ऐसा तोष व्याप्त हो जाता है कि उसे किसी अन्य तत्व की कामना ही नहीं रहती तथापि यदि कोई भाव वह मन में प्रकट करता है तो..
२. अमित फल, अमित का अर्थ है कभी न समाप्त होने वाला। यह शाश्वत है, चिरस्थाई, पूर्णता लाने वाला। हनुमान जी की कृपा से मनोरथ की पूर्ति के क्रम में जो फल प्राप्त होता है वह अमित है। कभी न चुकने वाला।

अतएव, हनुमान जी की कृपा ही जीवन में अनंत सुख प्रदान करने वाली है। श्री हनुमान चालीसा में हनुमान जी की वंदना करते हुए यह चौपाई उनके पुण्य प्रताप का सुंदर निदर्शन करती है।

आइए, हनुमान जी महाराज का वंदन करें। हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।
 
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सद्य: आलोकित!

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