जातुधान प्रदोष बल पाई।
धाए करि दससीस दोहाई।।
प्रदोष : मानस शब्द संस्कृति |
पंचांग के अनुसार द्वादशी और त्रयोदशी की तिथि का संक्रमण काल (संध्या) #प्रदोष है। संध्या का अर्थ है दो काल का मिलन। प्रातःकालीन और सांयकालीन संध्या होती है। लंका युद्ध के प्रथम दिन प्रदोष काल का बल लेकर #जातुधान रावण का जयघोष कर पुनः आक्रमण करने लगे।
प्रदोष काल लगभग तीन घंटे का होता है। यह संध्या काल से डेढ़ घंटे पहले से शुरू होकर बाद के डेढ़ घंटे तक चलता है। इस अवधि में भगवान शिव की आराधना विशेष फल दाई रहती है।
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