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शुक्रवार, 25 जून 2021

Kathavarta : आपातकाल पर केन्द्रित हिन्दी साहित्य

  भारतीय लोकतंत्र में सन १९७५ से १९७७ का वर्ष आपातकाल का है। २५ जून१९७५ को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी। और सभी मानवाधिकारों को स्थगित कर दिया था। प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक बिनोवा भावे ने आपातकाल को 'अनुशासन पर्व' कहा था और प्रगतिशील लेखक संघ ने इस आपातकाल का बचाव किया।

कथावार्ता : सांस्कृतिक पाठ का गवाक्ष

        आपातकाल पर केन्द्रित साहित्य बहुत कम है। हिन्दी में लिखे गए रचनात्मक लेखन में आपातकाल लगभग अनुपस्थित है।

आपातकाल की सांकेतिक छवि

आपातकाल की सांकेतिक छवि

    हमने यहां आपातकाल में और उसके बाद हिन्दी में लिखे गए साहित्य की एक सूची बनाई है। यह सूची मूल्यवान होगीऐसी अपेक्षा है। 

 

#जीवनी-

आपातकाल का धूमकेतु, राजनारायण- डॉ युगेश्वर

 

#उपन्यास - 

राही मासूम रज़ा का उपन्यास कटरा बी आरजू

निर्मल वर्मा का उपन्यास रात का रिपोर्टर

मुद्राराक्षस का उपन्यास 'शांतिभंगऔर  

रवींद्र वर्मा का उपन्यास 'जवाहर नगर'

 

#पत्रिकाएं -

"सारिका" पत्रिका के अनेक अंक (कमलेश्वर के संपादन में)

"स्वदेश" पत्र,

"पहल-३ और ४" पत्रिका,

उत्तरार्ध पत्रिका के ८ से १५ तक के अंक (संपादक सव्यसाची)

 

#गजलें -

कल्पना और सारिका के तत्कालीन अंकों में छपीं दुष्यंत कुमार की गजलें,

 

#कविता - 

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की "आपातकाल" शीर्षक कविता,

भवानी प्रसाद मिश्र की "आपातकाल" और "चार कौवे उर्फ चार हौवे" कविता,

दुष्यंत कुमार की "चल भाई गंगाराम भजन कर"

बाबा नागार्जुन की "मोर ना होगा...उल्लू होंगे"

जयकुमार जलज की "गैर रचनाधर्मी" 

हरिभाऊ जोशी की "विजयनी संघर्ष",

जगदीश तोमर की "काली आंधी के विरुद्ध",

राजेंद्र मिश्रा की "फिर सुबह" और "एक दर्शक की तरह",

प्रेमशंकर रघुवंशी की "आदेश सो रहे हैं",

कुमार विकल की "इश्तहार",

नीलाभ की "सन उन्नीस सौ छिहत्तर",

केदारनाथ अग्रवाल की "ओट में खड़ा मैं बोलता हूँ" संकलन में दो कविताएं ......

 

#कहानी -

 पंकज बिष्ट की "खोखल"

असगर वजाहत की "डंडा"

 

#डायरी -

चंद्रशेखर की जेल डायरी

-डॉ रमाकान्त राय

राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,

इटावाउत्तर प्रदेश

9838952426

 

सद्य: आलोकित!

सच्ची कला

 आचार्य कुबेरनाथ राय का निबंध "सच्ची कला"। यह निबंध उनके संग्रह पत्र मणिपुतुल के नाम से लिया गया है। सुनिए।

आपने जब देखा, तब की संख्या.