मुकुंद : मानस शब्द संस्कृति लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मुकुंद : मानस शब्द संस्कृति लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 13 अप्रैल 2024

मुकुंद : मानस शब्द संस्कृति

बरषहिं सुमन देव मुनि बृंदा।

जय कृपाल जय जयति मुकुंदा।।


भगवान श्री विष्णु मुक्तिदाता हैं। स्वतंत्रता प्रदान करने वाले कृपालु हैं।

भगवान श्रीराम ने रावण को इकतीस बाण एक साथ मारे तो वह खण्ड खण्ड हो गया। देवताओं ने तब सुमनवृष्टि की और जयजयकार। वह भी #मुकुन्द हुए। विष्णु का नाम सार्थक हुआ।

मुकुंद : मानस शब्द संस्कृति 

#श्रीरामचरितमानस पाठ में आज रावण मुक्त हो गया। #मानस_शब्द #संस्कृति में यह शब्द आया तो मुझे सीधे आग में पकाए जाने वाले स्वादिष्ट व्यंजन मकुनी की याद हो आई। वैष्णव जन उसे मुकुंदी कहते हैं। सत्तू के पूरन से गदगदाई हुई। वह मुक्त होकर, मुक्ताकाश में बनती है और उदरस्थ करने वाले को मुक्त करती है।

सद्य: आलोकित!

जातिवादी विमर्श में चमकीला

 एक फिल्म आई है #चमकीला नाम से। उसके गीत भी हिट हो गए हैं। फिल्म को जातिवादी कोण से इम्तियाज अली ने बनाया है जो चमकीला नाम के एक पंजाबी गायक...

आपने जब देखा, तब की संख्या.