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मंगलवार, 12 जनवरी 2010

मेरे गांव को जानिए.....

          कल गाँव जा रहा हूँ।

          मेरा अपना घर. मेरा घर जिस सुन्दर से गाँव में है उसका नाम है- चौरंगीचक। यह गाँव गाजीपुर जनपद में है।

          जब आप बनारस से बिहार की लिए निकलते हैं और सीधा रास्ता चुनते हैं तो आपको तकरीबन ८० किलोमीटर के बाद ये जनपद मिलेगा। गाजीपुर जिन कुछ चीजों के लिए देश भर में जाना जाता है उनमें एक तो है अफीम फैक्ट्री।

          जिन साहित्यकारों  ने यहाँ की धरती पर जन्म लिया और साहित्य की दुनिया में प्रतिष्ठित हुएउनमें एक नाम है आचार्य कुबेरनाथ राय का। वह हिन्दी के शीर्षस्थ निबंधकार हैं। उपन्यास और शायरी तथा फिल्मी पटकथा लेखन के क्षेत्र में ख्याति अर्जित करने वाले एक अन्य साहित्यकार का नाम है राही मासूम रज़ा

          अरे! राही मासूम रज़ा का नाम नहीं जानतेआधा गाँव नहीं पढ़ा क्या? ‘टोपी शुक्ला’?  महाभारत तो देखा होगाअरे वही जिसे बी. आर. चोपड़ा ने निर्देशित किया था। तब तो आपको जरुर पता होगा कि उसके संवाद राही मासूम रज़ा ने ही लिखे थे। यदि आपने दूरदर्शन पर नीम का पेड़ धारावाहिक देखा है तो आपके लिए ये नाम अनजाना नहीं होगा। खैरअभी बस इतना ही राही मासूम रज़ा के बारे में।

          हमारा गाजीपुरगवर्नर जनरल कार्नवालिस की अंतिम साँसे गिनते देख कर बहुत ही खुश हुआ था। स्वाधीनता संग्राम में अष्टशहीदों के बलिदान से गौरवान्वित हुआ। सन १९६५ के भारत-पाकिस्तान युद्ध के अमर शहीद परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद से आप परिचित हैं। उनके नाम पर गंगा नदी पर सेतु है।

          तो कुछ अपने गाँव के बारे में! जिला मुख्यालय से बलिया की तरफ कोई १३ किलोमीटर की दूरी पर शाहबाजकुली मिलेगा। यहाँ १९०२ में ही रेल का स्टेशन बन गया था। गाजीपुर से सड़क मार्ग से भी जाया जा सकता है। शाहबाजकुली गंगा नदी के तट पर ही है। वहाँ से कोई एक किलोमीटर दूरचारो तरफ से प्राकृतिक सुषमा से घिरा हुआ मेरा गाँव है- चौरंगीचक।

          मैं जब भी अपने इस गाँव की बात करता हूँमुझे भवभूति की लिखी और राम द्वारा कही उक्ति याद आती है- जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।

          कल जब मैं अपने गाँव जाऊंगा तो मेरे जिम्मे कई काम होंगे। मैं घर से लौट कर जब आऊंगा तो आपको बताऊंगा की मेरे गाँव में इस कड़कड़ाती ठण्ड से लड़ने के लिए लोग क्या कर रहे हैं। मैं पक्का जानता हूँ कि वहां मुझे गन्ने का रसमटर की घुघुनी और अलाव में भुना हुआ आलू खाने को मिलेगा।

सद्य: आलोकित!

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