-डॉ रमाकान्त राय
कल 'दीया दीवारी' थी, आज बुद्धू बो की पारी है! प्रात:काल ही उठ गया। दरिद्दर खेदा जा रहा था। माँ सूप पीटते हुए घर के कोने कोने से हँकाल रही थीं।
आवाज करते हुए प्रार्थना कर रही थीं। यह प्रार्थना दुहराई जा रही थी। -ईश्वर पैसें
दरिद्दर निकलें- ईश्वर का वास हो, दरिद्र नारायण बाहर
निकल जाएँ। दरिद्र भी नारायण हैं। रात में दीप जले, पूजा
हुई, खुशियाँ मनाई गयीं, राम
राजा हुए। लक्ष्मी का वास हुआ। अब दरिद्रता का नाश हो। यह निर्धनता नहीं है। यह
मतलब नहीं निकलना चाहिए कि हमारी गरीबी दूर हो गयी। निर्धनता और दरिद्रता में अंतर
है। निर्धनता में व्यक्ति का स्वाभिमान बना रहता है। दरिद्रता व्यक्ति की गरिमा को
नष्ट कर देती है। उसका आत्मबल छीन लेती है। निर्धन होना अच्छा हो सकता है, दरिद्र होना कतई नहीं। राम राजा हुए हैं तो स्वाभिमान लौटा है। ऐसे में
दरिद्रता कैसे रह सकती है। हमने उसे हँकाल दिया है।
मैं माताजी के साथ हो लिया। दरिद्रनारायण को करियात से बाहर हँकाल दिया
गया। सूप लेकर हम छोटे भाई के साथ गाँव के बाहरी छोर पर चले गए। वहां बालक, नवयुवक, युवतियाँ, महिलायें
दरिद्र नारायण को हँकालते हुए इकठ्ठा हुई थीं। सूप, दौरी
आदि को जलाया जा रहा था। दीया पर अंजन बना रहे थे लोग। कोई खुरपी तो कोई हँसुआ पर
दीये की लौ सहेजकर अंजन बना रहा था।
दीया पारती भद्र महिलाएं |
अंजन यानि काजल बनाना एक कला है, विज्ञान है, कार्रवाई है। हर गृहस्थिन को यह विद्या सहज प्राप्त हो जाती है। आज का बना हुआ काजल सालभर आँखों की ज्योति को सुरक्षित रखेगा। अंजन बनते ही बच्चों को उनकी माएँ टीका लगा रही थीं। बच्चे आतिशबाजी कर रहे थे। कुछ ने जलती लौ में पटाखे फेंके और लोगों की बड़बड़ाहट का मजा लिया। खूब उधम हुआ। एक बूढ़ी माँ ने खरी-खोटी सुनाई। सबको यह आशीष जैसा लगा।
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दरिद्दर हँकालने के बाद अंजन निर्माण |
दलिद्दर खेदने के बाद गंगा स्नान के लिए जाना रहता है। अब यह प्रथा बन्द हो गयी। तीन चार किमी दूर जाकर गंगा स्नान करना जोखिम भरा तो है ही, बोरिंग भी है। अब नदी में क्रीड़ा करना जॉयफुल नहीं रहा। समाचार पत्रों, मीडिया की सूचनाएँ डराती हैं। और वह आनंद अभीष्ट भी नहीं रहा।
दरिद्दर खेदने, गंगा स्नान करने के बाद आज दोपहर भर बहनें सरापेंगी। वह व्रती हैं। अन्न जल ग्रहण नहीं करना है। दोपहर के बाद गोधन कूटे जायेंगे। तब जो सराप (शाप) उन्होंने दिया था, गोधन कूटते हुए अपने ऊपर लेंगी। 'मेरे भईया, जीवन में हर कठिनाई से मुक्त रहें। हर बलाय हम सहें।'