खिचड़ी विप्लव देखा हमने
भोगा हमने क्रांति विलास
अब भी खत्म नहीं होगा क्या
पूर्ण क्रांति का भ्रांति विलास
प्रवचन की बहती धारा का
रुद्ध हो गया शांति विलास
खिचड़ी विप्लव देखा हमने
भोगा हमने क्रांति विलास
मिला क्रांति में भ्रांति विलास
मिला भ्रांति में शांति विलास
मिला शांति में क्रांति विलास
मिला क्रांति में भ्रांति विलास
पूर्ण क्रांति का चक्कर था
पूर्ण भ्रांति का चक्कर था
पूर्ण शांति का चक्कर था
पूर्ण क्रांति का चक्कर था
टूटे सींगोंवाले साँडों का यह कैसा टक्कर था!
उधर दुधारू गाय अड़ी थी
इधर सरकसी बक्कर था!
समझ न पाओगे वर्षों तक
जाने कैसा चक्कर था!
तुम जनकवि हो, तुम्हीं बता दो
खेल नहीं था, टक्कर था।
(1975 में लिखी कविता।)