जोहार |
करहिं जोहारु भेंट धरि आगे।
प्रभुहि बिलोकहिं अति अनुरागे।।
चित्रलिखे जनु जंह तंह ठाढ़े।
पुलक सरीर नयन जल बाढ़े।।
वनवासी समुदायों में अभिवादन का प्रचलित तरीका #जोहार है। जब लोग आपस में संपर्क करते हैं तो प्रकृति को सर्वोपरि मानने वाला यह उद्घोष करते हैं। यह प्रणाम, नमस्ते की तरह का एक व्यवहार है। झारखंड में अभिवादन हेतु यही राजाज्ञा है।
जोहार में सेवा भावना प्रमुख है। इसका मोटे तौर पर अर्थ है कि हमारा अभिवादन स्वीकार करें और कहिए, क्या सेवा करें।
जब श्रीराम ने चित्रकूट में निवास हेतु कुटी बनाई तो कोल और किरात लोग उनसे मिलने आए, जोहार किया और अपने साथ लाए उपहार भेंट किया।
#मानस_शब्द #संस्कृति