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मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

ज्ञान : मानस शब्द संस्कृति

 

ज्ञान : मानस शब्द संस्कृति 

ग्यान मान जहँ एकउ नाहीं।
देख ब्रह्म समान सब माहीं।।

ज्ञान क्या है? दुनिया की सभी सभ्यताओं में इसके अभिलाषी हैं। #श्रीरामचरितमानस में कहा गया है कि #ज्ञान वह है जहां मान, दंभ, हिंसा, टेढापन आदि एक भी दोष न हो और जो सबमें समानरूप से ब्रह्म को देखता है।
श्रीमद्भागवतगीता में मनुष्य के 18 दोष गिनाए गए हैं। इन दोषों से मुक्त होना ही #ज्ञान है। जो भी इन दोषों से मुक्त हो जाता है, परमपद को प्राप्त हो जाता है। इस निमित्त इंद्रिय निग्रह के लिए कहा गया है। नित्य अध्यात्म की स्थिति को चुनना और तत्त्व को जानना होता है।

#संस्कृति

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सद्य: आलोकित!

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