लूटेरा- हम तो लुट गए तेरे प्यार में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
लूटेरा- हम तो लुट गए तेरे प्यार में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 6 अक्टूबर 2013

हम तो लुट गए तेरे प्यार में- लूटेरा

         #Lootera निःसंदेह सोनाक्षी सिन्हा की अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म है. तमाम लटके-झटके से अलग इसमें सोनाक्षी न सिर्फ सुन्दर लगी हैं बल्कि उनका अभिनय भी कमाल का है. आँखों पर उभर आये काले धब्बे, उनकी कमजोर होती काया और पस्त हो जाने का भाव उनके चेहरे पर जिस तरह से आता है वह पात्र से पूरा न्याय करता है.

           मैं इसे देखते हुए कभी भी प्रेम कहानी की तरह नहीं देख पाया. यद्यपि है इसमें वही. फिल्म देखते हुए यह खयाल आता रहा कि सिर्फ हिन्दी फिल्मों का नायक ही पत्ती को पेड़ पर टांकने के लिए इतनी कोशिश कर सकता है. एक ऐसी कोशिश जो, फिजूल सी लगे. इसे कहने वाले कहेंगे कि प्रेम का प्रतीक बनती है वह पत्ती. लेकिन मुझे मूर्खता का अहसास कराती हुई सी प्रतीत हुई. बाद में पता चला कि यह ओ हेनरी की एक कहानी The Last leaf से प्रेरित है. क्या पता कि उसमें कितना कैसे आया है.

         फिल्म में उल्लेखनीय था, लूटने का नया तरीका. यह अनूठा था. इसका फिल्मांकन भी गजब. लगा ही नहीं कि वे ठग हैं. हिंदी फिल्मो का नायक वैसे भी हरफनमौला होता है.

        दूसरी बात खटकी और अच्छी भी लगी कि ठग नायक वरुण, पाखी के साथ नागार्जुन की कविता एक साथ दुहराता है. १९५३ के नवम्बर के दिनों की इस कथा में १९५२ में लिखी हुई कविता 'अकाल और उसके बाद' बंगाल में एक जमींदार परिवार में रूचि से पढ़ी जा रही है. जनवादी कविता, सामन्ती परिवेश. फिर इतने कम समय में यह कविता इस तरह से लोकप्रिय हो गयी? मैंने आधी रात को किताबें खंगाली और पाया कि असंगत नहीं है. जमींदारी का जाना, कविता का फिल्म में यूं आना. यह सब आश्चर्यजनक किन्तु सुखद था. एक अच्छी फिल्म..



सद्य: आलोकित!

श्री हनुमान चालीसा शृंखला : पहला दोहा

श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जस, जो दायक फल चारि।।  श्री हनुमान चालीसा शृंखला परिचय- #श्रीहनुमानचालीसा में ...

आपने जब देखा, तब की संख्या.