रविवार, 26 नवंबर 2023

जब राम विवाह के उपरांत घर आए!

  दोहा॥

श्री गुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥

॥ चौपाई ॥
जब तें रामु ब्याहि घर आए ।
नित नव मंगल मोद बधाए ॥
भुवन चारिदस भूधर भारी ।
सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी ॥1

रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई ।
उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई ॥
मनिगन पुर नर नारि सुजाती ।
सुचि अमोल सुंदर सब भाँती ॥2

कहि न जाइ कछु नगर बिभूती ।
जनु एतनिअ बिरंचि करतूती ॥
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी ।
रामचंद मुख चंदु निहारी ॥3

मुदित मातु सब सखीं सहेली ।
फलित बिलोकि मनोरथ बेली ॥
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ ।
प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ ॥4


श्री रामचरितमानस: अयोध्या काण्ड: मंगलाचरण]

(यह ध्यातव्य है कि श्रीरामचंद्र जी के विवाह के उपरांत के प्रकरण में तुलसीदास जी ने अयोध्याकांड का प्रारंभ किया है। इसमें जिस दोहे से आरंभ हैवह हनुमान चालीसा में भी आरंभिक दोहा है।

श्रीराम जी के विवाह के बाद अयोध्या में हर तरफ मंगल लक्षण दिखाई दिए। यह सुखद संकेत था।)




बुधवार, 22 नवंबर 2023

पनौती : शब्द विश्लेषण और अर्थ

देख रहा हूं कि आदरणीय सुरेश पंत और ॐ थानवी जी के #पनौती संबंधी मान्यता को कोशीय अर्थ, प्रत्यय जोड़कर बनाया शब्द आदि से जोड़कर व्याकरण सम्मत और शास्त्रीय बताने का प्रयास किया जा रहा है!

जबसे युवा नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के लिए इस शब्द का प्रयोग किया है, तब से इस शब्द की व्युत्पत्ति और उद्गम स्रोत की खोज हो रही है। यह युवा नेता राहुल गांधी के वक्तव्य को व्यवहारसम्मत बताने के निमित्त किया जा रहा है। बताया जाता है कि इसमें औती प्रत्यय है और मूल शब्द पानी से नि:सृत पन है।

चूंकि हस्तक्षेप करने वाले विद्वान और सम्मानित जन हैं, इसलिए उनकी बात आप्त वचन मानकर स्वीकार कर ली जा रही है। यहां मैं आपसे थोड़ा रुककर विचार करने के लिए आमंत्रित करता हूं।


Katha varta
कथा वार्ता विशेष


पहले शब्द पर विचार कर लें। यहां औती प्रत्यय बताया जा रहा है। कटौती, चुनौती आदि शब्द प्रमाण के रूप में रखे जा रहे हैं। #पनौती भी ऐसा ही शब्द है। मूल शब्द क्या है?

बताया गया है कि पानी से "पन" बना है। और इससे बने शब्द हैं पनबिजली, पनचक्की आदि। एक पत्रकार (?) ने पन को अवस्था बताया है और शब्द बताया है बचपन। पनौती का लाक्षणिक अर्थ कठिनाई बता दिया है।

अब कोई पूछे कि बचपन में पन मूल शब्द है अथवा प्रत्यय ही? प्रत्यय से प्रत्यय जोड़ देंगे?

अब बचता है पनबिजली, पनचक्की का पन। यह उचित है और सम्मत भी। तो पनौती में पानी का पन और औती प्रत्यय ही ठीक माना जाना चाहिए। हिंदी में प्रत्यय की विशेषता है कि यह शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ को विशिष्ट बना देता है। उपसर्ग में अर्थ बदल देने की शक्ति है।

यह देखिए और तनिक विचार कीजिए कि पनबिजली और पनचक्की में मूल शब्द पन नहीं है। क्रमश: बिजली और चक्की है। अतएव, पनौती शब्द के व्युत्पत्तिपरक यह सब व्याख्याएं उचित और व्याकरण सम्मत नहीं हैं। ऐसी कोई आवश्यकता भी नहीं है कि इस शब्द का उद्गम तत्सम में जाकर खोजा जाए। यह लोक से विच्छिन्नता का परिचायक है।

यह सच है कि पनौती शब्द अपशकुन और अंधविश्वास का वाहक है लेकिन इसकी व्युतपत्ति और कोशीय अर्थ पर वक्तव्य देना ठीक नहीं प्रतीत होता। यह शब्द अवध परिक्षेत्र के जनमानस का है। लोग काम बिगड़ने की स्थिति में किसी अनपेक्षित को पनौती कहते हैं। हम दूसरे पर आश्रित हैं।

जब मैं प्रयागराज में अध्ययनरत था तो वहां छात्रावासी जीवन में यह शब्द खूब प्रचलन में था और सहपाठियों को चिढ़ाने के लिए पनौती कहा जाता था। यह शब्द शब्दकोश में नहीं है। इसकी व्युतपत्ति की खोज करना रेत का घर बनाना है। हां, राहुल गांधी के औचित्य की मीमांसा की जानी चाहिए।


पनौती मूल x पोस्ट

मंगलवार, 7 नवंबर 2023

आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकारा है

 

आज हिमालय की चोटी से
फिर हम ने ललकारा है
आज हिमालय की चोटी से
फिर हम ने ललकारा है
दूर हटो दूर हटो
दूर हटो ऐ दुनिया वालों
हिंदुस्तान हमारा है
दूर हटो ऐ दुनिया वालों
हिंदुस्तान हमारा है!


जहाँ हमारा ताज महल है और
क़ुतब मीना
रा है
जहाँ हमारा ताज महल है और
क़ुतब मीना
रा है
जहाँ हमारे मंदिर मस्जिद
सिखों का गुरुद्वारा है
जहाँ हमारे मंदिर मस्जिद
सिखों का गुरुद्वारा है
जहाँ हमारा ताज महल है और
क़ुतब 
मीनारा है
जहाँ हमारे मंदिर मस्जिद
सिखों का गुरुद्वारा है


इस धरती पर क़दम बढ़ाना
अत्याचार तुम्हारा है
अत्याचार तुम्हारा है


दूर हटो दूर हटो
दूर हटो ऐ दुनिया वालों
हिंदुस्तान हमारा है
दूर हटो ऐ दुनिया वालों
हिंदुस्तान हमारा है
आज हिमालय की चोटी से
फिर हम ने ललकारा है
आज हिमालय की चोटी से
फिर हम ने ललकारा है
दूर हटो दूर हटो
दूर हटो ऐ दुनिया वालों
हिंदुस्तान हमारा है
दूर हटो ऐ दुनिया वालों
हिंदुस्तान हमारा


शुरू हुआ है जंग तुम्हारा
जाग उठो हिन्दुस्तानी
तुम न किसी के आगे झुकना
जर्मन हो या जापानी
शुरू हुआ है जंग तुम्हारा
जाग उठो हिन्दुस्तानी
तुम न किसी के आगे झुकना
जर्मन हो या जापानी
आज सभी के लिए हमारा
यही क़ौमी नारा है
आज सभी के लिए हमारा
यही क़ौमी नारा है
दूर हटो दूर हटो
दूर हटो ऐ दुनिया वालों
हिंदुस्तान हमारा है
दूर हटो ऐ दुनिया वालों
हिंदुस्तान हमारा है.

सद्य: आलोकित!

आर्तिहर : मानस शब्द संस्कृति

करहिं आरती आरतिहर कें। रघुकुल कमल बिपिन दिनकर कें।। आर्तिहर : मानस शब्द संस्कृति  जब भगवान श्रीराम अयोध्या जी लौटे तो सबसे प्रेमपूर्वक मिल...

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