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बुधवार, 17 अप्रैल 2024

आर्तिहर : मानस शब्द संस्कृति

करहिं आरती आरतिहर कें।

रघुकुल कमल बिपिन दिनकर कें।।

आर्तिहर : मानस शब्द संस्कृति 


जब भगवान श्रीराम अयोध्या जी लौटे तो सबसे प्रेमपूर्वक मिले। सबके योगदान का बखान किया। अवधपुरी में लोगों ने अपना सर्वस्व उनपर न्योछावर किया। युवतियों ने #आर्तिहर (दु:ख हर लेने वाले) सूर्यकुलरूपी कमलवन के सूर्य भगवान राम की आरती की।
तुलसीदास जी ने आरती और आर्तिहर में यमक अलंकार का बहुत सुंदर प्रयोग कर काव्य के सौंदर्य को बढ़ा दिया है।
आज #रामनवमी है। रामचंद्र जी के अवतरण की पवित्र तिथि। आज शताब्दियों बाद अयोध्या जी में उसी भावना से आरती हुई। #जन्मभूमि में विराजमान रामलला की छवि को लोगों ने भावपूर्ण निहारा। तुलसीदास जी ने एक चौपाई में यह विशिष्ट कथन किया है कि भगवान ने अमित रूप धारण किया और सबसे यथायोग्य, एक ही समय में मिले -
"अमित रूप प्रगटे तेहि काला।
जथा जोग मिले सबहि कृपाला।।"
यहां यह बताकर आज #मानस_शब्द #संस्कृति की बात पूरी करूंगा कि भगवान के चरित्र की यह विशिष्टता है कि वह सबके लिए सुलभ हैं, सबके अपने हैं।

सद्य: आलोकित!

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