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मंगलवार, 29 सितंबर 2020

कथावार्ता : काशीनाथ सिंह की कहानी ‘सुख’



काशीनाथ सिंह (जन्म 01 जनवरी1937) साठोत्तरी कहानी के प्रमुख लेखकजाने माने उपन्यासकारसंस्मरण लेखक हैं। उनके उपन्यास रेहन पर रग्घू’ (2011) पर उन्हें प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है। अपना मोर्चा’, ‘महुआ चरित’, ‘उपसंहार’ और काशी का अस्सी’ उनकी चर्चित औपन्यासिक कृतियाँ हैं। याद हो के न याद हो’ और घर का जोगी जोगड़ा’ शीर्षक से उनके संस्मरण बहुत सराहे गए हैं। उनकी एक ख्याति नामवर सिंह के अनुज के रूप में भी है।


काशीनाथ सिंह की कहानी ‘सुख’ न समझे जाने की पीड़ा को बहुत कलात्मक तरीके से प्रस्तुत करती है। तार बाबू के पद से हालिया अवकाशप्राप्त भोला बाबू को एक शाम प्राकृतिक सुषमा का दर्शन होता है और वह सबको इस अपरूप सौन्दर्य से परिचित करा देना चाहते हैं। हर संवाद में वह अस्त होते हुए सूर्य की सुन्दरता का साक्षात कराने के लिए अवसर खोजते हैं। निराश होते हैं और झल्लाते हैं। न समझा पाने की पीड़ा उनको अकेला कर जाती है। बहुत अकेला।

          कथा-वार्ता के लिए इस कहानी का वाचन किया है- डॉ रमाकान्त राय ने। वीडियो का सम्पादन और संयोजन भी डॉ राय का है।

          देखने / सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें।

 काशीनाथ सिंह की कहानी सुख

सोमवार, 28 सितंबर 2020

कथावार्ता : पंचलाइट : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी


पंचलाइट ग्रामीण जीवन की सामाजिकता का अद्भुत आख्यान है। इस कहानी में पंचलाइट प्रतीक है। गाँव में रोशनी आएगी लेकिन उसके आने और प्रज्ज्वलित होने में कई बाधाएँ हैं। जब सबका सहयोग होता है, सामुदायिकता प्रबल होती है, तो वह जगमगाने लगता है।

  जनवरी, 1958 में कलकत्ता की पत्रिका 'सुप्रभात' में सबसे पहले प्रकाशित। ठुमरी में संकलित 



       पंचलाइट : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी


सुनिए/देखियेपंचलाइट : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी- वाचन स्वर डॉ रमाकान्त राय का है। 

बुधवार, 23 सितंबर 2020

कथावार्ता : शेखर जोशी की कहानी- गलता लोहा

 

कथा-वार्ता की नवीनतम प्रस्तुति- शेखर जोशी की कहानी- गलता लोहा।

गलता लोहा- शेखर जोशी की कहानी




 

                शेखर जोशी (जन्म- १९३२ ई०, अल्मोड़ा) नयी कहानी के प्रमुख लेखक हैं। उनकी कहानियों के संग्रह हैं- कोसी का घटवार’, ‘साथ के लोग’,  हलवाहा’, ‘नौरंगी बीमार है,’ ‘मेरा पहाड़’, ‘डागरी वाले’, ‘दस बच्चे का सपना’, ‘आदमी का डर’, ‘शब्दचित्र।  एक पेड़ की यादऔर स्मृति में रहें वेउनके संस्मरण हैं।  न रोको उन्हें शुभा शीर्षक से उनकी कविताओं का एक संग्रह २०१२ ई० में प्रकाशित हुआ है। शेखर जोशी को महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, साहित्य भूषण और पहल सम्मान मिल चुका है।

 

          शेखर जोशी नयी कहानी के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। उनकी कहानियों में मजदूर जीवन और पहाड़ का परिवेश बहुत बहुत अनूठे तरीके से अभिव्यक्त हुआ है। गलता लोहा, वास्तव में एक राजनीतिक चेतना सम्पन्न कहानी है, जिसमें आफ़र पर लोहा नहीं गल रहा, वर्ण व्यवस्था की कठोरता पिघल रही है और नया आकार ले रही है। यह कहानी शिक्षा और समाज व्यवस्था का बहुत मार्मिक चित्र भी हमारे सामने प्रस्तुत करती है।

 

          आगामी वीडियो में हम इस कहानी का आलोचनात्मक पाठ प्रस्तुत करेंगे। अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो टिप्पणी करें और अपने प्रश्न तथा सुझाव से अवगत कराएं।

 

          वाचन स्वर है- डॉ रमाकान्त राय का।       

शनिवार, 11 अप्रैल 2020

कथावार्ता : फणीश्वर नाथ रेणु की पहली कहानी ‘वट बाबा’


          महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु के पुण्यतिथि 11 अप्रैल पर सुनिए उनकी पहली कहानी वट बाबा। वाचन स्वर है डॉ रमाकान्त राय का।




         फणीश्वर नाथ रेणु का जन्म 04 मार्च 1921 को पूर्णिया जनपद, बिहार के औराही-हिंगना ग्राम में हुआ था। उन्होने मैला आंचल, परती परिकथा, जुलूस आदि उपन्यास लिखे। उनकी कहानी तीसरी कसम उर्फ मारे गए गुलफाम पर बहुचर्चित फीचर फिल्म का निर्माण हुआ है। फणीश्वर नाथ रेणु ने कुल 63 कहानियाँ लिखी हैं। यह कहानी उनकी पहली कहानी मानी जाती है जो साप्ताहिक विश्वामित्र में अगस्त, 1944 में प्रकाशित हुई थी। 1942 के आंदोलन में उन्हें जेल हुई थी। जब वह 1944 में जेल से छूटे तो उन्होने यह पहली कहानी लिखी, जिसे भारत यायावर ने 'पहली परिपक्व कहानी' कहा है। उनकी दूसरी कहानी 'पहलवान की ढोलक' है।

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