रविवार, 7 मई 2023

साहित्य के रति प्रसंग

• रति–प्रसंग किताब खरीदने को प्रेरित करते हैं. अभी ऐसी ही तीव्र उत्तेजना में प्यारी–सी लेखिका की एक किताब खरीदनी पड़ गई. 

• उसके पेट पर बतख सोई हुई है. योनि बिल्ली है. नायक बिल्ली की तलाश में उसके पेट को छूता है, बतख तैरने लगती है. 

• अफसोस कि पुरुष शिश्न को लेकर चूहे जैसा उपमान अभी गढ़ा जाना बाकी है. 

• जो उत्तेजना सरस सलिल से मिलती थी, वही ‘मुझे चांद चाहिए’ के रति प्रसंग से मिली. कमलेश्वर की किताब ‘जलती हुई नदी’ इसीलिए खरीदी. 

• मेरे जैसे पाठक उत्तेजनाओं की तलाश में पैदा हुए हैं. 

#रतिप्रसंग



रति प्रसंग/चितकोबरा/उपन्यास/मृदुला गर्ग

रति प्रसंगों को एक समय तलाश तलाश कर पढ़ता था. मेरी साहित्य में अभिरुचि ही ऐसे हुई. 

सोचता हूं कि एक लेखक के लिए रति प्रसंग को लिखना कितना चुनौतीपूर्ण रहता होगा, जहां जरा चूके नहीं कि असाहित्यिक हो जाने के खतरे सामने खड़े होते होंगे. यह मौत के कुएं में मोटर साइकिल चलाने जैसा है. आज का प्रसंग मृदुला गर्ग के उपन्यास चितकोबरा से– 

अब उसके ओंठ मेरे ओंठों पर हैं। अपनी जबान से उसने बन्द दरवाजा खोल लिया है और मेरी जबान पर कब्जा कर लिया है। मेरी जबान के तंतु चिनचिना रहे हैं... मैं सिर्फ जबान हूँ !

पर... उसके हाथ मेरे स्तनों पर हैं। दो अँगुलियाँ सिमटकर स्तनाग्र को दबोच लेती हैं और मसलकर झटक देती हैं। मैं जानती हूँ...बस, जरा देर में वह उसे ओठों में समेट लेगा।

वह चाहता होगा, उसके तीन जोड़ी ओंठ हों। एक मेरे होंठों पर रखे, एक-एक उरोजों पर। या दोनों चूचुक एक साथ एक जोड़ी ओंठ में दबोचकर, तीसरा ओठ मेरी टाँगों के बीच उन ओठों पर रख दे, जो इस समय भी उसके आगमन की प्रतीक्षा में तिरमिरा रहे हैं। पर उसके पास सिर्फ एक जोड़ी ओठ हैं, जो इस वक्त उसकी जबान का साथ दे रहे हैं।

अगर मेरा शरीर एक विशाल उरोज होता तो उसे यह दिक्कत न होती। उसके ओंठ और अँगुलियाँ एक साथ मुझे खगोरते।


– मृदुला गर्ग, उपन्यास ‘चितकोबरा’ 

#रतिप्रसंग1



रति प्रसंग/मुझे चांद चाहिए/उपन्यास/सुरेंद्र वर्मा


हर्ष मोहाविष्ट-सा उसके वक्ष को देख रहा था (सिलबिल को खुशी हुई कि कुछ वर्ष पहले दिव्या की सलाह पर उसने रात को सोते समय ब्रा पहने रहना बंद कर दिया था। आकार एवं पुष्टि की दृष्टि से परिणाम बहुत सुंदर निकले। उसने अगले ही दिन दिव्या को पत्र लिखकर आभार व्यक्त किया था)।

"चैपलिन जी क्या सोचेंगे ? वरिष्ठ अभिनेता का लिहाज करना हमारा...”

सिलबिल की बात पूरी नहीं हो पायी। हर्ष ने उसके बायें उरोज को चुंबनों की लड़ी से बाँधते हुए चूचुक को होठों में भर लिया। सीत्कार के साथ सिलबिल की साँस रुक गयी। तलवों से झुनझुनी उठी और पूरे जिस्म को स्पंदित कर गयी....

उसकी जींस का बटन काज से निकला और जिप खुली। "कुमारी कन्या के नीवि-बंधन को न छेड़ो आर्यपुत्र ! "

उन्मादी चुंबनों की श्रृंखला से उसका मुँह बंद करते हुए हर्ष ने एक आतुर हाथ से लेस की पेटी के पार उसके नितंबों को सहलाया... अपने वक्ष पर हर्ष के नग्न सीने का स्पर्श हुआ, तो सिलबिल का गला सूखने लगा। हर्ष की पीठ पर उसकी हथेलियों का दबाव अपने-आप बढ़ गया। मेरे शरीर में ऐसी उन्मत्त बयार बंदी थी, हर्ष ने अपने स्पर्श से ये झरोखे खोले हैं, उसने सोचा।

हर्ष ने बिस्तर पर उसे उलटा और सीधा लिटा कर स्पर्शों और चुंबनों से पूरे शरीर में थरथराहट भर दी। सिलबिल ने अपने भीतर ऐसी तप्त नमी कभी महसूस नहीं की थी। जब हर्ष उसके भीतर प्रविष्ट हुआ, तो सिलबिल की साँस रुक गयी। बंद आँखों वाले चेहरे पर आशंका की छाया तैरी। नवचुंबन से हर्ष ने उसे आश्वस्त किया... कामना और अपनत्व की सिहरन के साथ सिलबिल ने अपने को ढीला छोड़ दिया...


#रतिप्रसंग2

शोध का प्रस्ताव कैसे बनाएं?

* शोध-कार्य-क्षेत्र में सक्रिय जनों को प्राय: ‘सिनॉप्सिस कैसे बनाएँ’ इस समस्या से साक्षात्कार करना पड़ता है। यहाँ प्रस्तुत हैं इसके समाधान के रूप में कुछ बिंदु, कुछ सुझाव :


• आप 2400-2500 शब्दों का एक राइट-अप बनाइए।


• समस्या क्या है? 200 शब्द।


• इसे लोगों ने कैसे देखा है? 200 शब्द, एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में यह बताइए कि अमुक विद्वान ने क्या कहा और क्या कमी है (पूर्ववर्ती शोध कार्य) : 800 शब्द


कमी बतानी है, निंदा नहीं करनी है। इसके लिए आपको संदर्भित काम को ठीक से पढ़ना है। पॉपुलर राइटिंग वाली किताबों को यहाँ रेफ़र करने से बचें, अन्यथा इंटरव्यू के समय आपको दिक़्क़त पेश होगी।


• ख़ाली जगहें जिनका उत्तर देना है। इसे शोध-प्रश्न कहते हैं। ज़्यादा से ज़्यादा तीन या चार शोध-प्रश्न बनाइए : 200 शब्द।

इस जगह यह बताएँ कि किसी विद्वान को पढ़कर आपके मन में वे कौन से सवाल आ रहे हैं, जिनका जवाब आप अपनी पीएचडी में खोजना चाहते हैं।


• इन सवालों का जवाब देने के लिए इतने ही शोध-उद्देश्य : 100 शब्द।


• शोध-प्रविधि : 100 शब्द। इसे बिल्कुल सटीक रखें।


• शोध का महत्त्व क्या है और इसका ज्ञान के सृजन में क्या स्थान होने जा रहा है : 200 शब्द।


• भविष्य में आपके शोध को कौन-कौन समूह पढ़ेंगे : 100 शब्द।


• ग्रंथ-सूची, बहुत संक्षिप्त : 200 शब्द। यहाँ केवल उन किताबों, जर्नल्स, रिपोर्ट्स को लिखें जिन्हें आपने सिनॉप्सिस बनाने में प्रयुक्त किया है।


• शुभकामनाएँ…


  -  Rama Shankar Singh

सद्य: आलोकित!

मोचीराम / धूमिल

राँपी से उठी हुई आँखों ने मुझे क्षण-भर टटोला और फिर जैसे पतियाये हुये स्वर में वह हँसते हुये बोला- बाबूजी सच कहूँ-मेरी निगाह में न कोई छोटा ...

आपने जब देखा, तब की संख्या.