महावीर विक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
श्री हनुमान जी 🙏 |
दूसरी चौपाई।
श्री हनुमान चालीसा शृंखला।
श्री हनुमान चालीसा की दूसरी चौपाई में हनुमान जी के तीन और विशेषण आए हैं। यह विशेषण उनके पर्याय ही हो गए हैं। इस दूसरी चौपाई की दूसरी अर्द्धाली में उनके चरित्र की एक विशेषता बताई गई है।
हनुमान जी को महावीर कहा गया है। महा का अर्थ विशाल/बड़ा है। वह बहुत बड़े वीर हैं। वीरता के समस्त लक्षण हनुमान जी में मिलते हैं। धैर्य, शील, शौर्य और शक्ति और विनम्रता; हनुमान जी का चरित्र इस सबसे परिपूर्ण है।
वह विक्रम हैं। विक्रम का अर्थ शक्ति है, विशेष क्रम वाला है। वह स्वयं शक्ति स्वरूप हैं। उनका एक अन्य नाम बजरंगी है। वज्र के समान अंग वाले हनुमान जी को बजरंगी कहा गया है। सबको पता है कि वज्र देवराज इन्द्र का शस्त्र है, जो अपनी कठोरता के लिए जाना जाता है। इसी वज्र की सहायता से वृत्रासुर का वध हुआ था और यह वज्र महर्षि दधीचि की अस्थियों से बना था।
हनुमान जी को कुमति अर्थात दुर्बुद्धि का निवारण करने वाला तथा सुमति यानि अच्छी बुद्धि, सद्बुद्धि का साथी बताया गया है। तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में एक स्थान पर लिखा है कि जहां सुबुद्धि है, वहां सम्पन्नता है और जहां दुर्बुद्धि है वहां विविध तरीके की विपत्तियां -
जहां सुमति तहां संपति नाना।
जहां कुमति तहां विपत्ति निधाना।।
इस प्रकार #हनुमानजी संपति और संपन्नता के स्वामी हैं तथा विपत्ति के निवारण कर्ता।
इस चौपाई की दूसरी अर्द्धाली में हनुमान जी के रूप का वर्णन है। उन्हें कंचन अर्थात सोने के समान रंग वाला बताया गया है। यह पीताभ होता है। कई स्थान पर हनुमान जी की देह लाल रंग की बताई गई है - लाल देह लाली लसे। यहां चालीसा में हनुमान जी को कंचन वर्ण का और सुंदर वेश में रहने वाला कहा गया है। हनुमान जी अपने को सदैव सुव्यवस्थित रखने वाले (फॉर्मल ड्रेस में) हैं, इसलिए उन्हें सुवेश अर्थात सुंदर वेश वाला कहा गया है। उनके कानों में कुण्डल है और उनके बाल घुंघराले हैं। कुण्डल कान में धारण करने वाला एक आभूषण है जिसे कान में छिद्र बनाकर पहनते हैं। यह कान में लटका रहता है।
कुंचित केश हनुमान जी की एक और पहचान है। घुंघराले बाल अतिरिक्त शोभाकारी होते हैं।
चालीसा की इस चौपाई में हनुमान जी के रूप वर्णन के साथ साथ उनके सुरुचिपूर्ण स्वभाव का भी परिचय दिया गया है। अपने व्यक्तित्व के अनुरूप वस्त्र और आभूषण धारण करना व्यक्ति के आंतरिक और बाह्य सौंदर्य में वृद्धि करता है।
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भाग - 4