आम फलते रहेंगे बागों में
रोज निकलेगी बात आमों की।
कड़ा पहरा है अबकी आमों पर
रस में डूबेंगे कैसे आमों की।।
कच्चा आम |
आम का साथ साथ आमों का
आम की बात बात आमों की।
आम तो आम है, कोई खास नहीं
कब लगेगी नुमाइश आमों की।
आम देखूं तो ललक उठती है
दिल में उठती है हूक आमों की।
आम देखा तो होंठ याद आए
याद आती गई हैं आमों की।
आम की फस्ल आम नहीं होती
कई कलमें लगेंगीं आमों की।
रसाल |
#चार_आम