एक
लंबी अवधि के बाद कहानियों का कोई संकलन इतना प्रभावित कर रहा है कि इसकी प्रत्येक
कहानी पर कुछ न कुछ कहने योग्य है। खिड़की संकलन में कुल 21 कहानियां हैं। प्रतिनिधि कहानी के बारे में किसी और दिन बताएंगे। आज चर्चा
करेंगे, इसकी एक कहानी ‘नेलपॉलिश’ की। कहानी कथावाचक के
स्वास्थ्य संबंधी विषय से उठती है और मधुमेह (डायबिटीज, लोक
में प्रचलित हो गया है तो वही इसमें भी प्रयुक्त हुआ है) की सामान्य धारणाओं से
आगे बढ़ती है। कथावाचक स्वास्थ्य संबंधी जांच के लिए अपनी बेटी के यहां दिल्ली आती
हैं और रेलगाड़ी में बैठकर वापसी होनी है। बेटी ने बहुत सी हिदायतें दी हैं और
कथावाचक इन सबसे मुक्त हो, व्यवस्था पर विश्वासी होकर और
अपने पर विश्वास रखकर निश्चिंत हैं।खिड़की : शीला राय शर्मा का कहानी सांकल, विद्या विहार नई दिल्ली से प्रकाशित
कहानी
में नेलपॉलिश उत्तर पक्ष में आता है जब सामने की सीट पर बारह तेरह साल की एक युवक
जैसा दिखने वाली "दुबली पतली, जींस और टी
शर्ट पहने, बहुत छोटे छोटे कटे बाल, फैशनेबल
टोपी और मुंह में लगातार च्यूइंगम चबाती, उद्दंड सी"
लड़की, जिसे अड़तीस की संख्या का ज्ञान नहीं है, नेलपॉलिश लगाती है और लगभग लीप लेती है। उसकी हरकतों से कथावाचक खिन्न
हैं। यह जानकर और खिन्न हैं कि युवक सरीखा बाना धरे हुए वह सर्वथा गैरजिम्मेदाराना
व्यवहार कर रही है। लेखक लिखती हैं -"पॉलिश उसके नाखूनों और उंगलियों पर
भद्दे ढंग से फैल गई। कपड़ों पर भी धब्बे लग गए, अगर मैं
उससे चिढ़ी हुई न होती तो शायद बुलाकर लगा देती।" इसके कुछ समय बाद कहानी में
एक घुमावदार मोड़ आता है। लड़की नेलपॉलिश छुड़ाने का प्रयास करती है। जब वह बाथरूम
जाती है और युवती के पिता से संवाद होता है तो जैसे सब कुछ बदल जाता है। समय की
बात, कथावाचक युवती के बाथरूम से लौटने के बाद स्वयं कहती
हैं -"तुम्हारी नेलपॉलिश कहां है? लाओ मैं अच्छे से लगा
दूं।" युवती भी कुछ बोलती नहीं, बस "नेलपॉलिश
निकालकर मेरे पास आ बैठी और अपनी उंगलियां मेरे सामने फैला दीं।"
कहानी
यहां रुक गई। कहानियां कभी पूर्ण या खत्म नहीं होती। वह वन में खो जाती हैं। यह
कहानी भी जैसे इसके बाद रुक गई है और खो गई है। पाठक व्यग्रता में कहीं भटकने लगता
है। शीला राय शर्मा की कहानियों का यह पहला ही संकलन है। हर कहानी जैसे पाठक को
झकझोर देने वाली। कहीं भी बनावटीपन नहीं। कहीं भी पिष्टपेषण नहीं। कोई फालतू बात
नहीं। काम की बातें। संवाद सधे हुए, रोचक और विवरण
में वैज्ञानिकता, सहजता। अनावश्यक कुछ भी नहीं।
हम किसी
दिन इस संकलन की बहुत महत्त्वपूर्ण कहानी #खिड़की पर बात करेंगे। यह कहानी मेरे देखे एक
अनूठे विषय पर सबसे परिपक्व कहानी है।
#कहानी
#समीक्षा #विद्या_विहार, नई दिल्ली से प्रकाशित