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शुक्रवार, 5 जुलाई 2024

लोमहर्षण और लोमहर्षक

 उनका नाम लोमश था। बड़े बड़े रोएं वाले। पुराणों के बहुत अच्छे वक्ता थे। अपनी वक्तृता से रोमांचित कर देने वाले। इस कारण उनका नाम ही लोमहर्षण हुआ। पुराण की कथाएं ज्ञानवर्धक और कल्याणकारी हैं, उन्हें सुनकर रोमांच होना सुखद अनुभूति है। लोमहर्षण व्यास थे और एक बार जब वह नैमिषारण्य में कथा वाचन कर रहे थे तब बलदेव ने अपने स्थान से उठकर स्वागत न करने पर उनका शिरोच्छेद कर दिया था। ब्रह्महत्या के दोषी हुए।


महाभारत में लोमहर्षण का प्रयोग है। गीता में यह रोमांचित करने के अर्थ में है। युद्ध भूमि में तुमुलनाद से भी रोमहर्षण होता है। वीर योद्धा युद्ध का दृश्य देखकर रोमांचित होते हैं और दुगुने उत्साह से युद्ध करते हैं। इसका अर्थ कायरों ने भयोत्पादक लिया है। रणभूमि में योद्धा डरेगा तो युद्ध क्या करेगा!


शब्दकोश में लोमहर्षण का विपरित अर्थ एक साथ मिलता है। सकारात्मक और नकारात्मक। रोमांचित करने वाला और भयानक। रोंगटे खड़ा कर देने का अर्थ लोग डरावना लेते हैं और लोमहर्षण के पर्याय की तरह प्रयुक्त करते हैं। बिना विचार किए कि यह सर्वथा विपरित अर्थ है।


चूंकि शब्दकोश में दिया गया है, इसलिए इसका प्रयोग धड़ल्ले से चल रहा है। रूढ़ि की तरह।


कल जब हमने फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के वक्तव्य से #लोमहर्षक शब्द पर आपत्ति की तो ट्रॉलर्स ने मेरा मखौल उड़ाया। उड़ा रहे हैं। इस विषय में मुझे तीन बातें कहनी हैं -


१. शोक और पीड़ा के क्षणों में व्यक्ति निःशब्द हो जाता है। उसकी वाणी शून्य हो जाती है लेकिन माननीय सांसद जी का वक्तव्य सुनिए। विशेषणों की झड़ी लगा दी है उन्होंने। अवसर है उनके लिए। आपदा में अवसर। उनका लोमहर्षण हो रहा है तो वह लोमहर्षक बता रहे हैं।


२. यह सही है कि लोमहर्षक (यह शब्द भी प्रचलित है, कोश में नहीं है) का प्रयोग भयावह के लिए भी होता है लेकिन क्या यह रोमांचक/सुखद के लिए उपयुक्त नहीं है? मेरी बात में दस प्रतिशत अन्यार्थ के लिए हो सकती है, लेकिन सर्वथा गलत नहीं है। और


३. यदि आप शब्द का गलत अर्थ ले रहे हैं तो यह आपकी समस्या है। मैं अपील करूंगा कि इसे सुधार लीजिए। अंग्रेजी पर्याय देख सकते हैं। आप गलत अर्थ ले रहे हैं और इसे अपने प्रयोग में बदल लीजिए।


मैं एक क्षण के लिए मान लेता हूं कि मैं अर्धसत्य कहा है। यही तरीका तो राहुल गांधी का #हिन्दू और #हिंसक के नैरेटिव में था। वह तो समुदाय के प्रतीकों में घाल मेल कर गए। संसद में कर गए। तब तो आपमें से किसी ने आपत्ति नहीं की।


मैं सोचता हूं कि #हाथरस घटना पर अपना वक्तव्य देते हुए अवधेश प्रसाद प्रफुल्लित और रोमांचित थे। विशेषणों की झड़ी इसी नाते लग रही थी।



#शब्द_चर्चा

सद्य: आलोकित!

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