कटक : मानस शब्द संस्कृति |
पूंछिहु नाथ राम कटिकाई।
बदन कोटि सत बरनि न जाई।।
रावण ने अपने दूतों से राम की #कटक यानी सेना के विषय में पूछा। दूत जान बचाकर आए थे। उन्होंने जो वर्णन किया, वह अद्भुत है। एक कहता है कि जिसने नगर जलाया था और आपके बेटे को मारा था, वह इसमें सबसे कम बलशाली था। वह सबका नाम बताते हैं।
यह समूचा प्रसंग अद्भुत है। दूतों को वानरों ने बहुत मारा था। उनका नाक कान काटना चाहते थे, लेकिन वह राम की सौगंध देकर बच आए थे। उनके मन में वानर सेना का आतंक जम गया था। ऐसे लोग पक्ष को भी हतोत्साहित कर देते हैं।
तुलसीदास जी इस मानसिकता को बहुत अच्छी तरह समझते हैं।
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