सोमवार, 28 सितंबर 2020

कथावार्ता : पंचलाइट : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी


पंचलाइट ग्रामीण जीवन की सामाजिकता का अद्भुत आख्यान है। इस कहानी में पंचलाइट प्रतीक है। गाँव में रोशनी आएगी लेकिन उसके आने और प्रज्ज्वलित होने में कई बाधाएँ हैं। जब सबका सहयोग होता है, सामुदायिकता प्रबल होती है, तो वह जगमगाने लगता है।

  जनवरी, 1958 में कलकत्ता की पत्रिका 'सुप्रभात' में सबसे पहले प्रकाशित। ठुमरी में संकलित 



       पंचलाइट : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी


सुनिए/देखियेपंचलाइट : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी- वाचन स्वर डॉ रमाकान्त राय का है। 

कोई टिप्पणी नहीं:

सद्य: आलोकित!

श्री हनुमान चालीसा

दोहा -  श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।  बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार।  बल बुद...

आपने जब देखा, तब की संख्या.