अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति कर दासा।।
|
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। |
भाग- 18
सोलहवीं चौपाई।
श्री हनुमान चालीसा शृंखला।
श्री हनुमान चालीसा की यह चौपाई बहुत महत्वपूर्ण है। इस चौपाई में हनुमान जी को अष्ट सिद्धि, नौ निधि का प्रदाता कहा गया है। और यह भी बताया गया है कि राम रसायन उनके पास है। हनुमान जी को सिद्धियां और निधियाँ सहज प्राप्त हैं। आठ सिद्धियां जो बताई गई हैं, वह हैं - अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व। नौ निधियाँ- पद्म, महापद्म, नील, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, शंख, खर्व या मिश्र हैं।
जब हनुमान जी ने श्री जानकी जी का पता लगाया और उन्हें भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया तो प्रसन्न होकर साक्षात् जगदम्बा ने उन्हें वरदान किया कि वह अष्ट सिद्धि और नौ निधि किसी को भी प्रदान कर सकते हैं। हनुमान जी इन्हीं सिद्धियों के बल पर अपना आकार घटा बढ़ा सकते थे और आवश्यकता के अनुसार रूप धारण कर सकते हैं। वह बल बुद्धि और विद्या के आगार इसलिए भी हैं।
हनुमान जी की कृपा से हम सृष्टि के समस्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
इस चौपाई में हनुमान जी को सदैव भगवान श्रीराम के निकट रहने वाले सेवक के रूप में बताया गया है जिसके पास राम रसायन है।
राम रसायन क्या है?
सामान्यतया रसायन का अर्थ ओषधि से लिया जाता है। कहा जाता है कि राम नाम एक ओषधि है जो हर तरह के दुःख और कष्ट से मुक्त करने में सक्षम है। किंतु यह राम रसायन का सरलीकरण ही है। राम रसायन कष्ट में पड़े और दुःखी जन के लिए ओषधि है लेकिन यह नाम सर्वजन के लिए आनंददायी है इसलिए ओषधि कहना इसका क्षेत्र संकोच करना है।
रसायन रस का आनंद है। रस की व्याख्या करते हुए तैत्तिरीयोपनिषद् में कहा गया है - रसो वै स:।
रसं ह्येवायं लब्ध्वानन्दी भवति।
अर्थात् वह रस का स्वरूप है। जो इस रस को पा लेता है वही आनन्दमय बन जाता है। सः यहाँ स्वयम्भू सर्जक के लिए प्रयोग किया गया है और रस उनकी सुन्दर रचना से मिला आनन्द है। जब प्राणी इस आनन्द को, इस रस को प्राप्त कर लेता है तो वह स्वयं आनन्दमय बन जाता है।
अथर्ववेद में आता है - "श्रीरामएवरसोवैसः।यस्यदासरसोवैपादः। यस्य शान्तरसो वै शिरः। वात्सल्यः प्राणः। शृङ्गारो बाहू। संख्यात्मा।" अर्थात् वह रसो वै सः ही एकमात्र #श्रीराम हैं। जिसका दास्य रस है उसके पैर हैं, शांत रस है सिर है, वात्सल्य रस है प्राण है, श्रृंगार रस है भुजा है और सख्य रस है आत्मा।
अतः स्पष्ट है कि रसायन और उसमें भी राम रसायन अतिविशिष्ट तत्त्व है। श्री हनुमान जी के पास यह है। हनुमान चालीसा इसे विशेष रूप से उल्लिखित करता है।
#हनुमानचालीसा_व्याख्या_सहित #hanuman #चौपाई
#श्री_हनुमान_चालीसा
#हनुमानचालीसा_शृंखला
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें