शनिवार, 25 जनवरी 2025

विद्यापति शृंखला एक

महत्वपूर्ण सूचना 

कभी निश्चय किया था कि दस दिन तक अभिनव जयदेव; #विद्यापति, मैथिल कोकिल के जीवन, काव्य और उनसे संबंधित इतिहास, किंवदंतियों आदि पर चर्चा करेंगे किंतु अपरिहार्य कारणों से वह शृंखला बीच में ही छूट गई थी। अब हम वह पूरा करना चाहते हैं।

हम जानते हैं कि हिंदी साहित्य के आरंभिक काल के कवि विद्यापति शैव, वैष्णव और शाक्त के संगम हैं। उनके यहां इतिहास बहुत स्पष्ट और अभिलिखित है। कविता में शृंगार योजना ऋषियों को भी विचलित कर देने वाला है। राधा और कृष्ण के प्रेम का अकुंठ और मादक रूप बहुत आकर्षक है। लोक में उनकी व्याप्ति अद्भुत है। आज भी एक बड़े क्षेत्र में विद्यापति की रचनाएं गाई जाती हैं और वह स्त्री समाज में समादरणीय हैं। वह बंगाल और ओडिसा तक में समान रूप से लोकप्रिय हैं। उनकी रचना में मिथिला क्षेत्र के साथ जौनपुर का भी उल्लेख है। तत्कालीन समाज का सबसे प्रमाणिक चित्रण उनके यहां है।

विद्यापति की रचनाओं ने हिंदी साहित्य को गहरे स्तर तक प्रभावित किया है। कवि शिरोमणि सूरदास से लेकर समस्त कृष्ण भक्त कवियों पर विद्यापति का स्पष्ट प्रभाव दिखता है। आधुनिक काल में नागार्जुन, रेणु और रामवृक्ष बेनीपुरी पर उनका गहरा प्रभाव है।

तो आगामी कुछ दिन तक हम विद्यापति पर एक स्वतंत्र पोस्ट लिखेंगे जो एक दूसरे से जुड़े होंगे। आपसे अपेक्षा रहेगी कि हमारा उत्साहवर्धन हो।

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