आमिष : मानस शब्द संस्कृति |
गीध अधम खग आमिष भोगी।
गति दीन्ही जो जाचत जोगी।।
गीधराज जटायु अधम पक्षी था। मांसाहारी था। जिनका आहार प्रत्यक्ष जीव हैं, वह #आमिष भोगी कहे जाते हैं। आमिष का अर्थ है मांस। सीता की रक्षा के निमित्त प्राण दांव पर लगाकर उन्होंने मुक्ति पाई। अधम होते हुए भी एक पुण्य कार्य करते ही उनकी गति ऐसी हुई जिसकी कामना योगी गण करते रहते हैं।
गीध अधम खग आमिष भोगी। |
ध्यान देने की बात है कि श्रीराम जटायु से मिल चुके थे। "गीधराज से भेंट भई, बहु बिधि प्रीति बढ़ाई!" श्रीराम सबके आराध्य हैं। सबके मित्र हैं। खग, मृग, चर, अचर सबके।
#मानस_शब्द #संस्कृति
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