वानप्रस्थ : मानस शब्द संस्कृति |
मिलहिं किरात कोल बनवासी।
बैखानस बटु जती उदासी।।
सनातन #संस्कृति में चार आश्रम निर्धारित हैं। जीवन के उत्तर पक्ष में गृहस्थ जीवन के बाद #वानप्रस्थ की व्यवस्था है जिसमें व्यक्ति जंगल में रहकर अपने जीवन के अनुभव परिपक्व करता, संजोता है।
भरत को मार्ग में कोल, किरात, भील, वनवासी, वानप्रस्थ आश्रम में रहने वाले लोग, व्रत धारी, छोटे छोटे बटुक आदि मिलते हैं।
बाहरी आक्रांताओं ने भारत की सामाजिक व्यवस्था नष्ट भ्रष्ट कर दी। ऐसी अव्यवस्था कर दी कि यह सब विलुप्त हो गया।
#मानस_शब्द
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