शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

म्लेच्छ : मानस शब्द संस्कृति

 

म्लेच्छ : मानस शब्द संस्कृति

गीधराज सुनि आरत बानी।
रघुकुल तिलक नारि पहिचानी।।
अधम निसाचर लीन्हें जाई।
जिमि मलेछ बस कपिला गाई।।

यह ध्यातव्य है कि तुलसीदास ने रावण द्वारा सीताहरण प्रसंग में पहली बार #म्लेच्छ शब्द का प्रयोग किया है। सूरदास के गुरु बल्लभाचार्य ने भी मलेच्छाक्रांतदेशेषु कहा है। यह विदेशी आक्रमणकारियों के लिए पर्याय था।
रावण का उल्लेख होते ही तुलसीदास जैसे क्रोध में भर जाते हैं। चोर, भड़ियाई, अधम, निशाचर, #म्लेच्छ आदि संज्ञाओं और उपमाओं से उसे बताना चाहते हैं। सीता को रावण ऐसे ले जा रहा था जैसे कपिला गाय म्लेच्छों के हाथ लग गई हों। तुलसीदास देश में गौहत्या, स्त्रियों के बलात हरण से सुपरिचित हैं।

#मानस_शब्द #संस्कृति

कोई टिप्पणी नहीं:

सद्य: आलोकित!

श्री हनुमान चालीसा शृंखला : पहला दोहा

श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जस, जो दायक फल चारि।।  श्री हनुमान चालीसा शृंखला परिचय- #श्रीहनुमानचालीसा में ...

आपने जब देखा, तब की संख्या.