जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
भाग - 10
आठवीं चौपाई।
श्री हनुमान चालीसा शृंखला।
श्री हनुमान चालीसा शृंखला |
श्री हनुमान चालीसा की इस चौपाई में सूर्य पुत्र यम, धन-धान्य, समृद्धि के अधिपति कुबेर और दिग्पालों की बात है जो हनुमान जी के बारे में वर्णन करते रहते हैं। तुलसीदासजी भी हनुमान जी का यश गाते हैं किंतु साथ ही यह जोड़ते हैं कि जब सनक आदि मुनि, देवर्षि नारद, देवि सरस्वती, शेषनाग, यमराज, कुबेर, दिगपाल आदि हनुमान जी की बड़ाई करते रहते हैं तो कवि और विद्वान लोग इसे कहां तक कह सकेंगे अर्थात वह उनके समक्ष असमर्थ ही समझे जाएंगे।
यहां जिन महानुभावों का उल्लेख है, वह सूचक है कि हनुमान जी के यश और कार्यवृत्त से कोई अछूता नहीं है। ऐसा कोई नहीं है जो उन्हें और उनके प्रताप को न जानता हो। जानने भर से, परिचय मात्र से बहुत सी अड़चन दूर हो जाती हैं।
श्री हनुमान चालीसा अद्भुत है। यह मात्र कविता नहीं है, वंदना नहीं है; यह मनन योग्य कृति है। प्रस्तुत चौपाई की दूसरी अर्द्धाली में हनुमान जी के बल, बुद्धि और कौशल की चर्चा करते हुए महाराजा सुग्रीव पर किए गए उपकार की चर्चा है।
वानरराज सुग्रीव, सूर्य के पुत्र हैं। उनकी ग्रीवा (कंठ) बहुत सुंदर थी इसलिए वह सुग्रीव हैं। किष्किंधा में जब बालि ने सुग्रीव को निष्कासित कर दिया तो उनके साथ हनुमान और जांबवंत भी ऋष्यमूक पर्वत पर चले गए। वह सुरक्षित स्थान था क्योंकि बालि को मातंग ऋषि ने शाप दिया था कि वह ऋष्यमूक पर्वत पर नहीं जा सकेगा। मातंग ऋषि के आश्रम में ही सुग्रीव की भेंट भगवान श्रीराम से हुई। इस भेंट को हनुमान जी ने संयोजित किया था।
यहां यह उल्लिखित करना आवश्यक है कि ऐसा नहीं था कि बालि का शासन बुरा था। वह सुग्रीव के कृत्य से आहत था, इसलिए उसने सुग्रीव को राज्य से निष्कासित कर दिया और रूमा, सुग्रीव की पत्नी को अपने अधिकार में रख लिया था। यह अनाचार का एक उदाहरण है।
हनुमान जी की मंत्रणा ने दो ऐसे लोगों को मिलाया, संयोगवश जिनकी पत्नी का हरण हो गया था। और दोनों वनवास कर रहे थे।हनुमान जी का यह उपकार सुग्रीव पर रहा और यह एक निर्णायक विषय था। बालि जैसे महाबली को मारना संभव नहीं था, श्रीराम ने यह किया और सुग्रीव को पुनः किष्किंधा का शासक बनाया। सुग्रीव ने बालि के पुत्र अंगद को युवराज बनाया।
श्री हनुमान चालीसा शृंखला : आठवीं चौपाई |
हनुमान चालीसा की इस चौपाई में विशेष रूप से हनुमान जी के यश और वृत्त की चर्चा की गई है। श्री हनुमान जी हरेक भांति प्रशंसनीय हैं।
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