बुधवार, 6 मार्च 2024

वदन/बदन : मानस शब्द संस्कृति

वदन/बदन : मानस शब्द संस्कृति 

 

बदन पइठि पुनि बाहेर आवा।
मागा बिदा ताहि सिरु नावा।।

अक्षर, मात्राओं और ध्वनियों के हेर फेर से शब्द के अर्थ में परिवर्तन आ जाता है। #वदन और #बदन ऐसा ही शब्द है। बदन देह का पर्याय है तो वदन मुख का। ऐसे बहुत से शब्द हैं।

हनुमान जी सुरसा के मुंह से बाहर लौट आए।

अवधी में व का उच्चारण ब, य>ज, ष>ख भी होता है।

#मानस_शब्द #संस्कृति

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सद्य: आलोकित!

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