योजन : मानस शब्द संस्कृति |
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा।
कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा ॥
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ।
तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ॥
भारतीय #संस्कृति में दूरी मापने की एक इकाई #योजन थी। यह चार कोस के बराबर थी। #कोस भी दूरी मापने की इकाई थी। आधुनिक मापन प्रणाली का 3 किमी, 1 कोस के बराबर है। आज भी यह पारंपरिक इकाइयां प्रचलन में हैं।
हनुमान जी के मार्ग में आई सुरसा ने अपना मुंह बड़ा किया। योजन भर बड़ा किया। हनुमान ने अपना दुगुना विस्तार किया। सुरसा ने बढ़ाकर 16 योजन तक घेर लिया। हनुमान जी ने तब आकार 32 योजन का कर लिया।
सुंदरकांड का रोचक प्रसंग।
#मानस_शब्द
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें