बुधवार, 31 जनवरी 2024

श्रीरामचरितमानस : एक प्रसंग

 


श्रीरामचरितमानस के पाठ के अनन्तर एक प्रसंग ने उलझाया हुआ है। श्रीराम वनगमन कर चुके हैं। राजसी वस्त्र त्यागकर, बालों को लपेट लिया है। गोस्वामीजी लिखते हैं कि उन्होंने बरगद का दूध मंगवाया और बालों की लट बांध ली।

सकल सौच करि राम नहावा।
सुचि सुजान बट छीर मंगावा।।
अनुज सहित सिर जटा बनाए।
देखि सुमंत्र नयन जल छाए।।

कितने कम शब्दों में तुलसीदास जी ने श्रीराम के नए साज सज्जा को अभिव्यक्त कर दिया है। अब केश संवारने की आवश्यकता नहीं होगी। श्रीराम वनवास का अधिकतम उपयोग करेंगे।

#संस्कृति


कोई टिप्पणी नहीं:

सद्य: आलोकित!

श्री हनुमान चालीसा

दोहा -  श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।  बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार।  बल बुद...

आपने जब देखा, तब की संख्या.