श्रीरामचरितमानस अयोध्याकांड २.२५
कोपभवन सुनि सकुचेउ राऊ।
भय बस अगहुड़ परइ न पाऊ।।
घर का एक कक्ष जिसमें कोई क्षुब्ध होकर रहने लगे, वह #कोपभवन है। बड़े घरों में यह व्यवस्था भी रहती होगी। राजा अपने प्रजाजन का समाचार विविध तरीके से लेता था। यह कक्ष कोप बताने के निमित्त था। कैकेयी को वहां जान कर राजा सहम गए।
#मानस_शब्द_संस्कृति
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें