मंगलवार, 23 जनवरी 2024

बालतोड़: मानस शब्द संस्कृति

बालतोड़

 

दलकि उठेउ सुनि हृदय कठोरू।
जनि छुइ गयउ पाक बरतोरू।।

ऐसा फोड़ा जो रोमकूप के उखड़ जाने से हो जाए। इस फोड़े का सिरा बहुमुखी हो जाता है। इसमें कई खील होते हैं। यह बहुत कष्टदायक होता है। महाराजा दशरथ द्वारा राम को युवराज बनाने की बात पर कैकेई का हृदय #बालतोड़ छू जाने जैसा दलक गया।

#मानस_शब्द_संस्कृति #संस्कृति

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

वाह! क्या उपमा है !

डॉ रमाकान्त राय ने कहा…

तुलसीदास जी श्रेष्ठं हैं

सद्य: आलोकित!

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