अक्षयवट : मानस शब्द संस्कृति |
संगम सिंहासनु सुठि सोहा।
छत्रु अखयबटु मुनि मनु मोहा।।
प्रयागराज में संगम तट पर बरगद का एक विशाल और न क्षरित होने वाला वृक्ष था जिसे #अक्षयवट कहा गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने इस वट को प्रयाग रुपी राजा का छत्र कहा है। यह अब किला क्षेत्र में है। जहांगीर ने इसे काटने का प्रयास किया।
#अक्षयवट की महिमा पुराणों में बताई गई है कि जब जल प्रलय हुआ तो यह एकमात्र वृक्ष बचा रहा। प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव ने यहीं ज्ञान प्राप्त किया। कालिदास के रघुवंश और ह्वेनसांग के विवरण में भी अक्षयवट का उल्लेख है।
यमुना नदी तट पर अवस्थित यह वृक्ष हमारी धरोहर सूची में है। #संस्कृति
#मानस_शब्द
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