शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

षोडशोपचार : मानस शब्द संस्कृति

 गुरु आगमनु सुनत रघुनाथा।

द्वार आइ पद नायउ माथा।।

सादर अरघ देइ घर आने।
सोरह भांति पूजि सनमाने।।

वैदिक रीति से पूजन की एक पद्धति षोडशोपचार कही जाती है जिसमें १६ अंग हैं। इसमें आवाहनम्, आसनम, पाद्यम, अर्घ्यम, आचमनीयम, स्नानम, यज्ञोपवीतम, वस्त्रम, अक्षता:, पुष्पाणि, धूपम, दीपम, नैवेद्य, दक्षिणा, पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा १६ उपचार हैं। प्रदक्षिणा अर्थात इष्ट का चक्कर लगा करके यह उपचार पूर्ण होता है।

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षोडशोपचार


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