शनिवार, 27 जनवरी 2024

प्रक्षालन : मानस शब्द संस्कृति

प्रक्षालन/पखारन

 

अति आनंद उमगि अनुरागा।
चरन सरोज पखारन लागा।।

जल की सहायता से शरीर के अंग आदि धोना और पोंछकर सुखाना #प्रक्षालन कहा जाता है। शुद्धिकरण के लिए यह आवश्यक है। भारतीय #संस्कृति में शुद्धिकरण का विशेष महत्त्व है। संस्कार इसी से है। 

केवट ने भगवान राम का पाँव बिना धोए नाव पर चढ़ाने से मना कर दिया। जब उसने पांव धो लिए, सुखा लिया तो नदी के पर ले गया। उन्होंने उतराई भी नहीं ली। कहा, जब लौटना तब दे देना। 🙏🙏

#मानस_शब्द


श्रीरामचरितमानस २.१००

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