सब देवन को दरबार जुरयो तहँ पिंगल छंद बनाय कै गायोजब काहू ते अर्थ कह्यो न गयो तब नारद एक प्रसंग चलायो,मृतलोक में है नर एक गुनी कवि गंग को नाम सभा में बतायो।सुनि चाह भई परमेसर को तब गंग को लेन गनेस पठायो।।
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मख़दूम मुहीउद्दीन की ग़ज़ल .. फिर छिड़ी रात बात फूलों की रात है या बरात फूलों की फूल के हार फूल के गजरे शाम फूलों की रात फूलों की आपका...
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