"मिर्ज़ा ग़ालिब" नाम से जो टीवी बायोपिक है, उसमें मिर्ज़ा आम खा रहे हैं। एक सज्जन यह कहकर कि वह आम नहीं खाते, महफिल में हैं।
तभी कहीं से एक गधा उन लोगों के पास आता है। हजरात कहते हैं- "गधे ने आम सूंघकर छोड़ दिया। मिर्ज़ा, आम तो गधे भी नहीं खाते।"
कथावार्ता : सांस्कृतिक पाठ का गवाक्ष |
मिर्ज़ा कहते हैं- "गधे हैं, तभी आम नहीं खाते।"
#चार_आम
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