ओड़िया कवि चंडीदास की कविता में राधा, कृष्ण के साथ रति के प्रगाढ़ क्षणों में भी व्याकुल रहती हैं कि यह मिलन चरम पर होगा और फिर विरह ही शेष रहेगा।
आम के साथ भी ऐसी ही भावना साथ चल रही है। #चार_आम के साथ संसर्ग हो रहा होता है कि 'जल्दी ही आम के
कथावार्ता : सांस्कृतिक पाठ का गवाक्ष |
दिन चले जायेंगे', भाव उमगता रहता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें