दुघड़िया: मानस शब्द संस्कृति |
दुघरी साधि चले ततकाला।
किए बिश्राम न मग महिपाला।।
#मानस_शब्द #संस्कृति
ईति भीति : मानस शब्द संस्कृति |
ईति भीति जनु प्रजा दुखारी।
त्रिविध ताप पीड़ित ग्रह मारी।।
तुलसीदास जी ने बताया है कि #ईति_भीति से प्रजा दु:खी हो जाती है! अतिवृष्टि, अनावृष्टि, चूहों का उत्पात, टिड्डियों का हमला, तोतों की अधिकता और दूसरे राजा का आक्रमण- खेतों को क्षति पहुंचाने वाले छ: उपद्रव ईति हैं। तीनों ताप, आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक; क्रूर ग्रहों का दोष और महामारियों से पीड़ित प्रजा। दुःख के कई प्रकारों का उल्लेख है।
इनका भय दु:खद है।
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