शनिवार, 27 जनवरी 2024

प्रक्षालन : मानस शब्द संस्कृति

प्रक्षालन/पखारन

 

अति आनंद उमगि अनुरागा।
चरन सरोज पखारन लागा।।

जल की सहायता से शरीर के अंग आदि धोना और पोंछकर सुखाना #प्रक्षालन कहा जाता है। शुद्धिकरण के लिए यह आवश्यक है। भारतीय #संस्कृति में शुद्धिकरण का विशेष महत्त्व है। संस्कार इसी से है। 

केवट ने भगवान राम का पाँव बिना धोए नाव पर चढ़ाने से मना कर दिया। जब उसने पांव धो लिए, सुखा लिया तो नदी के पर ले गया। उन्होंने उतराई भी नहीं ली। कहा, जब लौटना तब दे देना। 🙏🙏

#मानस_शब्द


श्रीरामचरितमानस २.१००

गुरुवार, 25 जनवरी 2024

साँथरी : मानस शब्द संस्कृति

 

साँथरी


गुहँ संवारि साँथरी डसाई।
कुस किसलयमय मृदुल सुहाई।।

सोने से पूर्व वस्त्रादि से जोड़कर बना हुआ बिछौना #साँथरी कहा जाता है। आज उन्नत गद्दे और रजाई/चादर आ गए हैं।  पहले धोती/साड़ी आदि को जोड़कर लेवा, कथरी, सुजनी आदि बिछौने बनते थे। सुंदर और सुरचित साँथरी निषादराज गुह ने संवारकर बिछाया।
तुलसीदास जी ने डासने अर्थात बिछाने का बहुत मार्मिक चित्रण किया है। अपनी एक कविता में वह बिछावन बिछाते बिछाते रात बीत जाने का वर्णन करते हैं। यह व्याकुलता है, छटपटाहट है। डासत ही बीति निसा सब, कबहूं न नाथ नींद भर सोयो।
श्रीरामचरितमानस में यह अयोध्याकांड में आया है २.८९ पर।

#मानस_शब्द #संस्कृति


बुधवार, 24 जनवरी 2024

वर्षाशन: मानस शब्द संस्कृति

 

वर्षाशन


गुरु सन कहि बरषासन दीन्हे।

आदर दान बिनय बस कीन्हे।।

व्यक्ति के एक साल में उपभोग होने वाली खाद्य सामग्री; मोटे तौर पर सीधा पिसान #वर्षाशन कहा जाता है। वनगमन से पूर्व श्रीराम ने गुरु वशिष्ठ से कहकर याचकों को अन्नादि वितरित किए। सामान्यतया आटा, दाल, कंद, हल्दी और नमक का सीधा होता है।

#मानस_शब्द #संस्कृति


मंगलवार, 23 जनवरी 2024

बालतोड़: मानस शब्द संस्कृति

बालतोड़

 

दलकि उठेउ सुनि हृदय कठोरू।
जनि छुइ गयउ पाक बरतोरू।।

ऐसा फोड़ा जो रोमकूप के उखड़ जाने से हो जाए। इस फोड़े का सिरा बहुमुखी हो जाता है। इसमें कई खील होते हैं। यह बहुत कष्टदायक होता है। महाराजा दशरथ द्वारा राम को युवराज बनाने की बात पर कैकेई का हृदय #बालतोड़ छू जाने जैसा दलक गया।

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रविवार, 21 जनवरी 2024

कोप भवन: मानस शब्द संस्कृति

श्रीरामचरितमानस अयोध्याकांड २.२५


कोपभवन सुनि सकुचेउ राऊ।

भय बस अगहुड़ परइ न पाऊ।।

घर का एक कक्ष जिसमें कोई क्षुब्ध होकर रहने लगे, वह #कोपभवन है। बड़े घरों में यह व्यवस्था भी रहती होगी। राजा अपने प्रजाजन का समाचार विविध तरीके से लेता था। यह कक्ष कोप बताने के निमित्त था। कैकेयी को वहां जान कर राजा सहम गए।

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शनिवार, 20 जनवरी 2024

ठकुरसुहाती: मानस शब्द संस्कृति

हमहुं कहबि अब ठकुरसोहाती। 
नाहिं त मौन रहब दिनु राती।। 

अपने स्वामी/ठाकुर को प्रिय लगने वाली बातें करना #ठकुरसुहाती है। सभा में ऐसे लोग विशेष कृपा पात्र होते हैं जो यह कर पाते हैं। इसे मुंहदेखी बातें करना भी कहते हैं। जैसा मुंह/मूड, वैसी बात। चापलूसी, झूठी प्रशंसा इसके लक्षण हैं।

#मानस_शब्द_संस्कृति #संस्कृति

शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

षोडशोपचार : मानस शब्द संस्कृति

 गुरु आगमनु सुनत रघुनाथा।

द्वार आइ पद नायउ माथा।।

सादर अरघ देइ घर आने।
सोरह भांति पूजि सनमाने।।

वैदिक रीति से पूजन की एक पद्धति षोडशोपचार कही जाती है जिसमें १६ अंग हैं। इसमें आवाहनम्, आसनम, पाद्यम, अर्घ्यम, आचमनीयम, स्नानम, यज्ञोपवीतम, वस्त्रम, अक्षता:, पुष्पाणि, धूपम, दीपम, नैवेद्य, दक्षिणा, पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा १६ उपचार हैं। प्रदक्षिणा अर्थात इष्ट का चक्कर लगा करके यह उपचार पूर्ण होता है।

#मानस_शब्द_संस्कृति #संस्कृति


षोडशोपचार


सद्य: आलोकित!

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बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार। बल बुधि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।। श्री हनुमान चालीसा शृंखला। दूसरा दोहा। श्रीहनुमानचा...

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