सोमवार, 10 जून 2024
मोदी कैबिनेट में मंत्री
बलिदान दिवस पर गुरु अर्जुन देव जी
आज १०जून को पांचवें गुरु अर्जुन देव का बलिदान दिवस है। वह चौथे गुरु रामदास के पुत्र थे। रामदास ने ही अमृतसर का निर्माण करवाया था। अमृतसर में जो सर है उसका आशय है जलाशय। स्वर्ण मंदिर के चतुर्दिक जो सरोवर है, वही अमृतसर है। पहले इसका नाम रामसर था।
गुरु अर्जुन देव का जीवन बहुत रचनात्मक था। उनकी सबसे अधिक कविताएं हैं। गुरु ग्रंथ साहिब में सबसे अधिक पद गुरु जी के हैं।
उनकी शिक्षाओं का बहुत सकारात्मक प्रभाव शहजादा खुसरो पर था और वह सिख धर्म में दीक्षित होना चाहता था। तथाकथित न्यायप्रिय कहा जाने वाला बादशाह जहांगीर इससे रूष्ट हुआ और उसने गुरु अर्जुन देव को बहुत यातनाएं दी। ध्यातव्य है कि जहांगीर के अब्बा अकबर बादशाह ने दीन ए इलाही चलाया था और सर्वधर्म समभाव की नीति का अनुपालन करने वाला था लेकिन उसके बेटे जहांगीर ने खुसरो को सिख मत स्वीकार करने से न केवल रोका अपितु पांचवे गुरु अर्जुन देव की हत्या कर दी।
सबको ज्ञात है कि सिखों के नवें गुरु तेग बहादुर को औरंगजेब ने धर्म की रक्षा करने के लिए ही मरवा दिया था। तब गुरु गोविंद सिंह ने सिखों के सैन्य प्रशिक्षण का भार लिया और हर हिन्दू परिवार से एक सदस्य को लेकर सिख सेना बनाई।
आज भले सिख समुदाय के लोग सिकुलर बनकर हिन्दुओं से घृणा रखने लगे हैं, लेकिन यह सच है कि सिखों और हिंदुओं का आपसी तत्त्व एक है।
आज गुरु अर्जुन देव के बलिदान दिवस पर प्रयागराज में लंगर और छबील जल पिलाने की व्यवस्था दिखी। सिख समुदाय के लोग बहुत श्रद्धा से उन्हें याद कर रहे हैं लेकिन उन्हें इतिहास के सबक से विच्छिन्न कर।
बलिदान दिवस पर गुरुजी का पुण्य स्मरण।
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रविवार, 9 जून 2024
संकट में इजराइल
इजरायल ने अपने चार बंधकों को मुक्त करा लिया है। यह बंधक 7 अक्टूबर से हमास के कब्जे में थे। कल इजराइल ने एक अभियान किया और इसमें, एक अनुमान के अनुसार लगभग ढाई सौ हमास के समर्थक मारे गए हैं। अभी इजराइल के एक सैकड़ा लोग बंधक हैं।
इजराइल जिस सुनियोजित तरीके से अपना अभियान चला रहा है, वह सैन्य विज्ञान के लोगों के अध्ययन के लिए भी उपयोगी है।
दुनिया भर में अलग थलग पड़ने के संकट के बीच जिस तरह से बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरानी राष्ट्रपति को ठिकाने लगाया, लेबनान और मिश्र का मुंह बंद रखा और गजा पटरी को समतल किया वह आज के जमाने में दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति से आ सकता है।
इजराइल एक यहूदी राष्ट्र है और इसका नवीनतम संघ 1948 में बना है। यहूदी समुदाय से ईसाई अलग हुए हैं और कालांतर में इस्लाम भी। इस प्रकार वह इन दोनों संप्रदायों का जनक है। द्वितीय महासंग्राम 1939-1945 के समय जितना विशृंखलित यहूदी हुए थे, 1948 के बाद उससे अधिक संगठित हुए।
किसी भी राष्ट्र और उसके नागरिकों की मजबूती संकट के समय ही समझ में आती है। जब आपको दिए गए विकल्पों में से चुनना हो तो आप या तो जोखिम लेते हैं अथवा आसान मार्ग। इजराइल ने जोखिम उठाया है।
मैं इस कसौटी पर भारत को अभी नहीं कसना चाहता।
इजराइल के आगामी दिन अधिक चुनौतीपूर्ण हैं। क्योंकि #AlleyesonRafah के साथ हमारी दृष्टि भी उधर ही है।
शनिवार, 8 जून 2024
राजनीति और कूटनीति
मुझे पता नहीं है कि मैं सही दिशा में सोच रहा हूं या नहीं। आप एकबार ध्यान से पढ़कर मुझे करेक्ट करिएगा।
यह ताजा छवि मीडिया में आई है। इसमें सुभासपा के अध्यक्ष और प्रदेश सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा के साथ बैठे हुए हैं।
ओमप्रकाश राजभर और दिनेश शर्मा |
वैसे तो यह मेल स्वाभाविक है लेकिन सोफा और स्टूल का जो विमर्श पिछले दिनों से स्पेस में है, उसे देखते हुए यह विशिष्ट है।
सबसे पहले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से यह स्टूल विमर्श चला था। अभी #लोकसभा_आमचुनाव_2024 के बाद इंडी गठबंधन के अखिलेश जी के मामले में भी सोफा और स्टूल प्रकरण उठा। ओमप्रकाश राजभर को कल nda की सभा में पीछे जगह मिली थी तो वह भी छवि भी विमर्श में आ गई।
इन छवियों से किसी एक की मानहानि की जाती है।
क्या डॉ दिनेश शर्मा के यहां सोफा नहीं है? ओमप्रकाश राजभर को इतना निकट बैठकर क्या विमर्श करना है? इसी क्षण की छवि क्यों उतारी जाती है? उसे मीडिया में प्रसारित किया जाता है! क्यों??
ध्यान से देखने पर पता चलता है कि यह भेदभाव और हीन दिखने वाली छवियां एक रणनीति/कूटनीति के अंतर्गत जारी की जाती हैं। जब ओमप्रकाश राजभर की राजनीति डूब रही है, उनकी छवि दरक रही है तो यह संजीवनी दिनेश शर्मा के यहां से अर्जित की गई है।
दुर्योग से इसे विरोधियों के पास भेजकर प्रसारित कराया जाता है ताकि इस पर खूब बहसा बहसी हो। सत्ता पक्ष के लोग किस प्रकार बचाव कर रहे हैं, उस ताप को महसूस किया जा सके। इस ताप से अहमियत का पता चलता है।
अपने लोगों को लामबंद करने में मदद मिलती है। सभी बड़े नेता इस कूटनीति का अंग होते हैं। कोई न कोई इसका अंग बन जाता है।
इसलिए मेरा मानना है कि इन कूटनीतिक चालों को समझना चाहिए और अपना दबदबा बनाए रखने वाले इको सिस्टम को उजागर करना चाहिए।
एक उद्देश्य यह लिखने का यह भी है कि हम समझ सकें कि यह सब कैसे काम करता है।
कि मैं झूठ बोल्या??
#राजनीति #PakvsUSA #NEDCAN #KathLinInCinemaPoland #omprakashrajbhar
शुक्रवार, 7 जून 2024
इंडी गठबंधन का प्रचार तंत्र
इंडी गठबंधन का प्रचार तंत्र इतना जबरदस्त है कि कंगना रनौत पर सुरक्षाकर्मी द्वारा किए गए घात को विभिन्न हैंडल्स से नए नए कोण देकर समर्थन दिया जा रहा है। बौद्धिक महारथी भी इसमें कूद गए हैं। एक विद्वान ने तो कहा कि "अच्छा गाल छुआ जाता है, थपड़ियाया नहीं जाता।" कुंठा नेक्स्ट लेवल।
खैर! यह ज्ञान होते हुए भी कि कांग्रेस ने एक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सुरक्षा बलों की संरक्षा में ही खोया है। एक अन्य प्रधानमंत्री राजीव गांधी को गाॅर्ड ऑफ ऑनर के समय पिटते हुए देखा है।
यह देखकर लगता है कि कांग्रेस के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या एक राजनीति भर थी। उसने उस घटना से कोई सबक नहीं लिया है। वह कंगना रनौत पर हुए हमले को समर्थन देकर ऐसी घटनाओं को हवा देना चाहती है। लेकिन यह सोचना चाहिए कि यह सब उनके गले भी पड़ सकता है। कल राहुल गांधी ने पत्रकार वार्ता में बीजेपी की लाइन कहकर जिस प्रकार बाधा पहुंचाई, किसी दिन कोई पत्रकार ही माइक चलाकर मार देगा।
कानून का राज बना रहे। एक सभ्य समाज के लिए यही वरेण्य होना चाहिए।
नया समर्थन राकेश टिकैत की ओर से मिला है।
राकेश टिकैत |
#KangnaRanaut
इतना दृष्टिहीन मत हो जाइए कि अपने ही गड्ढे कब्रगाह बन जाएं।
इतना दृष्टिहीन मत हो जाइए कि अपने ही गड्ढे कब्रगाह बन जाएं।
स्वर्ण मंदिर पर आक्रमण, भिंडरावाले का सफाया करने से खिन्न अंगरक्षकों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या
लिट्टे के दमन के लिए श्रीलंका में सैन्य अभियान के लिए राजीव गांधी पर सुरक्षाबलों द्वारा जानलेवा आघात
किसानों के उपद्रव पर बयान देने के लिए कंगना रनौत पर सुरक्षाकर्मी द्वारा थप्पड़ मारना
कंगना रनौत |
एक ही कोटि की घटनाएं हैं। किसी सुरक्षाकर्मी द्वारा यह करना अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा है। इसकी एक सुर से निंदा होनी चाहिए और कड़ी कार्रवाई।
एक सभ्य समाज में पी चिदंबरम, अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, कन्हैया कुमार आदि पर हुए हमले की भी कोई जगह नहीं है। हमने केजरीवाल जी द्वारा पी चिदंबरम पर जूता फेंकने वाले को विधायक बनाने पर तीखी आलोचना की थी। हमलावरों का किसी भी तरह से महिमामंडन नहीं होना चाहिए। यहां तक कि कांशीराम द्वारा आशुतोष को मारने की घटना की भी निंदा ही करनी चाहिए।
सोचिए! कल अजित अंजुम, रविश कुमार, अभिसार शर्मा को कोई यह कहकर पीट दे कि यह सब घटिया नैरेटिव चलाते हैं तो आप उसका बचाव कर पाएंगे?
अराजकता को समर्थन देना नाजायज है। दुर्भाग्य से कांग्रेसी भी यह कर रहे हैं जिन्होंने इतनी कीमत चुकाई है। इतना दृष्टिहीन मत हो जाइए कि अपने ही गड्ढे कब्रगाह बन जाएं।
#कंगना_रनौत
#kangnaranaut
कुलविंदर कौर |
सोमवार, 27 मई 2024
भवानी प्रसाद मिश्र की कविता
[आपातकाल के दौरान लिखी भवानी प्रसाद मिश्र की कविताएं ‘त्रिकाल सन्ध्या’ संकलन में हैं. यहां बाल-कविता के रूप में लिखी एक कविता पेश है। आपातकाल में सक्रिय और बदनाम चार महानुभावों का सन्दर्भ स्पष्ट है।]
बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले ,
उन्होंने यह तय किया कि सारे उड़ने वाले
उनके ढंग से उड़ें, रुकें, खायें और गाएं
वे जिसको त्यौहार कहें सब उसे मनाएं
कभी कभी जादू हो जाता है दुनिया में
दुनिया भर के गुण दिखते हैं औगुनिया में
ये औगुनिए चार बड़े सरताज हो गये
इनके नौकर चील, गरुड़ और बाज हो गये।
हंस मोर चातक गौरैये किस गिनती में
हाथ बांध कर खडे हो गये सब विनती में
हुक्म हुआ, चातक पंछी रट नहीं लगायें
पिऊ – पिऊ को छोड़ें कौए – कौए गायें।
बीस तरह के काम दे दिए गौरैयों को
खाना – पीना मौज उड़ाना छुट्भैयों को
कौओं की ऐसी बन आयी पांचों घी में
बड़े – बड़े मनसूबे आए उनके जी में।
उड़ने तक के नियम बदल कर ऐसे ढाले
उड़ने वाले सिर्फ़ रह गए बैठे ठाले
आगे क्या कुछ हुआ सुनाना बहुत कठिन है
यह दिन कवि का नहीं, चार कौओं का दिन है।
उत्सुकता जग जाए तो मेरे घर आ जाना
लंबा किस्सा थोड़े में किस तरह सुनाना ?
#emergency #आपातकाल
सद्य: आलोकित!
हनुमान चालीसा: चौथी चौपाई
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।। चौथी चौपाई श्री हनुमान चालीसा की चौथी चौपाई में हनुमान जी के रूप का वर्णन है। उन्हें कंचन अ...