रविवार, 30 जून 2024

विद्यापति : संस्कृत और देसिल बयना के कवि

वैसे तो विद्यापति की तीन कृतियां, कीर्तिलता, कीर्तिपताका और पदावली की ही चर्चा होती है लेकिन हम उनकी पुस्तक "पुरुष परीक्षा" से आरंभ करेंगे। यह विद्यापति की तीसरी पोथी है जिसको लिखने की आज्ञा शिव सिंह ने दी थी। यह धार्मिक और राजनीतिक विषय पर कथाओं की पोथी है। ध्यान रहे कि इसमें भी शृंगार विस्मृत नहीं है।

पुरुष परीक्षा नामक पोथी का बहुत आदर है। सन 1830 में इसका अंग्रेजी अनुवाद हुआ और प्रसिद्ध फोर्ट विलियम कॉलेज में यह पढ़ाई जाती थी। बंगला के प्राध्यापक हर प्रसाद राय ने 1815 ई० में इसका भाषानुवाद किया।


कीर्तिलता विद्यापति की प्रथम रचना है। प्राकृत मिश्रित मैथिली, जिसे उन्होंने अवहट्ट नाम दिया है, में राजा कीर्तिसिंह प्रमुख हैं। इसी में विद्यापति ने "देसी बोली सबको मीठी लगती है" जैसा सिद्धांत प्रतिपादित किया है - देसिल बयना सब जन मिट्ठा! इस रचना में जौनपुर का वर्णन है। मेरे मित्र सुशांत झा ने विद्वानों के हवाले से बताया है कि यह जौनपुर असल में जौनापुर है, जो दिल्ली अथवा उसके निकट का कोई उपनगर है। मैं इसकी परीक्षा कर रहा हूं।


दूसरी पोथी नैतिक कहानियों की है -भू परिक्रमा शीर्षक से। चौथी कृति कीर्तिपताका है। इसमें प्रेम कविताएं हैं। पांचवीं लिखनावली है जिसमें चिट्ठी लिखने की विधि बताई गई है। शैव सर्वस्व सार, गंगा वाक्यवलि, दान वाक्यवलि, दुर्गा तरंगिणि, विभाग सार, गया पतन आदि विद्यापति की अन्य प्रमुख कृतियां हैं जो उनकी विद्वता का परिचय देती हैं।

इन सबसे ऊपर है- पदावली! यही विद्यापति की लोकप्रियता का आधार और लंब सब कुछ है। इसमें गेय पद हैं, राग रागिनियों में आबद्ध। कल इसे केंद्र में रखकर चर्चा करेंगे।

#विद्यापति #Vidyapati #maithil

#मैथिल_कोकिल

विद्यापति : संस्कृत और देसिल बयना के कवि

विद्यापति : संस्कृत और देसिल बयना के कवि, तीसरा भाग

विद्यापति : किंवदंतियां

विद्यापति का जीवन जितना प्रमाणिक है, उतना ही किंवदंतियों से भरा हुआ भी। इसमें सबसे प्रमुख है "उगना महादेव" से जुड़ी कथा। मिथिला क्षेत्र में मान्यता है कि भगवान शिव विद्यापति की भक्ति और प्रतिभा से बहुत मुदित थे और उनकी सेवा टहल के लिए रूप बदल कर रहने लगे। विद्यापति के इस टहलुआ का नाम उगना था। विद्यापति जहां जहां जाते, उगना साथ रहता।

एक दिन की बात। विद्यापति कहीं जा रहे थे। उगना साथ था। विद्यापति को प्यास लगी। उन्होंने अपनी चिंता से उगना को अवगत कराया। उगना आंख से ओझल हुआ और कुछ क्षण में ही जल लेकर उपस्थित हुआ। विद्यापति ने जल ग्रहण किया तो उन्हें आश्चर्य हुआ। वह गंगातीरी कवि थे। जल गंगा नदी का था। उन्होंने उगना से इस संबंध में पूछताछ की तब उगना अपने असली स्वरूप में आ गए। विद्यापति से उन्होंने कहा कि यदि इस रहस्य के विषय में किसी को बताया तो अंतर्धान हो जाऊंगा। विद्यापति के समक्ष दोहरा संकट था। भगवान का सानिध्य और उनसे टहल कराना! बस किसी किसी तरह निबाह हो रहा था।

एक दिन किसी कार्य में देरी होने पर विद्यापति की पत्नी ने उगना को डांट लगाई। तब हस्तक्षेप करते हुए विद्यापति ने #महादेव के बारे में बता दिया। भगवान शिव अंतर्धान हो गए। वह #उगना_महादेव कहे गए। आज भी मिथिला क्षेत्र में एक कुआं है, जिसे इससे जोड़कर देखा जाता है।

विद्यापति की शिव के प्रति भक्ति का यह अनूठा उदाहरण है।


आज दूसरे दिन #विद्यापति के जीवन से एक #किंवदंती।

विद्यापति पर डाक टिकट 


कल तीसरे भाग में हम विद्यापति द्वारा विरचित ग्रंथों की चर्चा करेंगे।


#मैथिल_कोकिल #साहित्य #Vidyapati #कविता #मिथिलांचल


विद्यापति : किंवदंतियां - दूसरा दिन

शुक्रवार, 28 जून 2024

आम की घरेलू तकनीक

#चार_आम की #घरेलू #तकनीक - 


यह जो #लंगड़ा आम है, मालदह, पद्म या हापुस जो भी कहते हैं आप। इसे कच्चा रहने पर ही तोड़ लें। #आम लेकर #दैनिक #भास्कर या #हिंदुस्तान समाचार पत्र में लपेट कर #अमेजन वाले कार्टून में रख दें। तीन से चार दिन में यह पक जायेगा। किसी #रसायन की आवश्यकता नहीं है। #कार्बाइड नहीं डालना है। इस प्रविधि से जो आम पकेगा वह #टपका से इतर और विशिष्ट होगा।

ध्यान से #अवलोकन किया जाए तो ज्ञात होगा कि ऐसे पके आम की #परत बहुत पतली हो गई है। यह आम अपना #सर्वस्व सौंप देता है, इसीलिए तो फलों के #राजा आम में भी #चक्रवर्ती सम्राट है।

सामान्यतया इतनी पतली परत/बोकला देखकर लोग आम को काट कर चम्मच से खाते हैं किंतु मैं #प्रस्ताव करता हूं कि इसे आदिम ढंग से खाना चाहिए। यह मानकर कि आप #रेंजर्स प्रशिक्षण शिविर में हैं जहां आपके पास कृत्रिम #संसाधन के नाम पर #शून्य है। अर्थात चाकू और #राहुल_गांधी के समर्थक (चम्मच) आदि नहीं हैं।


ऐसी दशा में आपको नख और दंत की सहायता से #रसपान करना है। यहां आपका वयस्क होना काम आएगा। चतुर #सुजान की भांति आपको वह स्थान समझना है जहां से आप इसे पा सकेंगे अन्यथा #चारुदत्त की तरह #वसंतसेना के भी उपहास का पात्र बनेंगे।


महीन #वल्कल को नाखून से हटाने की सोच #बच्चे जैसी होगी। वयस्क #व्यक्ति रस की एक #बूंद भी नीचे नहीं #गिरने देगा, इसलिए सहज ही वह #होंठो से काम लेगा। #दंतक्षत करेगा। हो सकता है कि यह #बाइट आपके मुखमंडल पर #कसैला स्वाद ले आए। छिलके में बस यही एक #अवरोध रह गया है। #कसैलापन । लेकिन आपने #घबराना नहीं है। क्योंकि #डर के आगे जीत है।


इस आम का #वल्कल एक झटके में नहीं उतरता। यह #एकवसना है अवश्य लेकिन एक #झटके में #उतरता नहीं। तो आपके #धैर्य की #परीक्षा यहीं है। #चारुदत्त को भी नहीं पता था। #वसंतसेना ने बताया था, तब जाना वह। #अस्तु!


जब इसका छिलका उतर जाए तो पहला #आस्वादन ही आपका #महासुख है। हमने एक बार बताया था कि इसे #हाआआआआऊप की तरह लेना चाहिए।

चार आम


अब क्या! 

#किस्सा गइल #वन में,

सोचो अपने #मन में।


जाओ, यह आम खाओ। फिर मुझे याद करना और कमेंट करके बताना।

विद्यापति : प्रथम भाग

 लंबे समय तक लोग यही मानते रहे हैं कि विद्यापति बंगला भाषा के कवि थे। गौड़ीय संप्रदाय के चैतन्य महाप्रभु के बारे में कहा जाता है कि वह विद्यापति के गीत गाते गाते विशेष मनःस्थिति में चले जाते थे, सुध बुध खो देने वाली स्थिति।


ओड़िया के प्रसिद्ध कवि हुए हैं चंडीदास! चंडीदास ने राधा और कृष्ण को आश्रय बनाकर कविताएं की हैं। उनकी कविता में विरह का पक्ष इतना प्रधान है कि राधा संयोग के क्षण में भी इस चिंता में रहती हैं कि कृष्ण चले जायेंगे। सूरदास का नाम कृष्ण भक्त कवियों में आदर और श्रद्धा से लिया ही जाता है। उनके यहां भक्ति और प्रेम की सीमारेखा ही मिट गई है। चंडीदास, सूरदास और विद्यापति की तिकड़ी में विद्यापति सबसे उज्ज्वल पक्ष हैं।


उज्ज्वलनीलमणि के रचनाकार रूप गोस्वामी ने शृंगार को उज्ज्वल रस कहा है कि यह जीवन का सबसे ललित और उज्ज्वल पक्ष लाता है। समर्पण और प्रेम का शिखर शृंगार में है। ऐसे में विद्यापति के काव्य के उज्ज्वल पक्ष को रेखांकित करने का संदर्भ लेना चाहिए।


जॉर्ज ग्रियर्सन ने इस मान्यता को स्थायित्व प्रदान किया कि विद्यापति मिथिला के थे और उनकी पदावली मैथिली में है। हालांकि ग्रियर्सन को इसका श्रेय भी है कि उसने विद्यापति के परिवार वालों के उत्तराधिकार के अधिकार को विलोपित कर दिया था।


विद्यापति का जन्म दरभंगा जिला के बिसपी नामक ग्राम में हुआ था। कालांतर में उनके प्रिय राजा शिव सिंह ने यह गांव उन्हें जागीर में दे दी थी। इस आशय का एक ताम्रपत्र भी मिला है और यह प्रमाणिक है।


विद्यापति का काल सल्तनत के बादशाह गयासुद्दीन तुगलक का है, जिनके साथ विद्यापति का संवाद भी है। कीर्तिलता नामक ग्रंथ में विद्यापति ने जौनपुर शहर का बहुत सुंदर वर्णन किया है और यवनों के अत्याचार की तरफ संकेत भी। जौनपुर के हाट/बाजार में चहल पहल का भी वर्णन यथार्थपरक है।


आज #विद्यापति शृंखला में हम यह बताना चाहते हैं कि विद्यापति उन चुनिंदा कवियों में हैं जिनका जीवन वृत्त प्रमाणिक साक्ष्यों के आधार पर निर्मित किया जा सका है। वह मिथिला ही नहीं, समूचे बिहार और बंगाल में कितने लोकप्रिय हैं, इसका अनुमान चंडीदास, चैतन्य महाप्रभु के उल्लेख से समझा ही जा सकता है, यह देखकर भी जाना जा सकता है कि लोक में वह गहरे रचे बसे हैं। उनके काव्य में तत्कालीन ऐतिहासिक चरित्र बहुत ठाठ के साथ उपस्थित हैं। पदावली तो शिवसिंह और लखिमा देवी के उल्लेख से भरी हुई है।


यद्यपि विद्यापति को राजा शिवसिंह के साथ काम करने का कम समय मिला लेकिन युवराज शिवसिंह उनके बहुत अभिन्न मित्र थे। पदावली में बहुत से ऐसे पद हैं जो उनकी अभिन्नता की घोषणा करते हैं।


विद्यापति परम शैव थे। यद्यपि शक्ति और वैष्णव मत के प्रति उनके मन में पूरा सम्मान था लेकिन शिव के वह अनन्य उपासक थे। उन्हें गंगा नदी का सानिध्य मिला था और उनका देहावसान लगभग 90 साल की आयु में गंगा तट पर ही हुआ। उनके विषय में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। इनपर चर्चा करेंगे कल।

शिव भक्त विद्यापति


#Vidyapati #साहित्य #पदावली #मैथिल_कोकिल


विद्यापति : प्रथम भाग

विद्यापति : शृंखला आरंभ की सूचना

सूचना -


    हम कल से अगले दस दिन तक अभिनव जयदेव; #विद्यापति, मैथिल कोकिल के जीवन, काव्य और उनसे संबंधित इतिहास, किंवदंतियों आदि पर चर्चा करेंगे। विद्यापति शैव, वैष्णव और शाक्त के संगम हैं। उनके यहां इतिहास बहुत स्पष्ट और अभिलिखित है। कविता में शृंगार योजना ऋषियों को भी विचलित कर देने वाला है। राधा और कृष्ण के प्रेम का अकुंठ और मादक रूप बहुत आकर्षक है। उनकी रचना में मिथिला क्षेत्र के साथ जौनपुर का भी उल्लेख है। विद्यापति की रचनाओं ने हिंदी साहित्य को गहरे स्तर तक प्रभावित किया है। वह बंगाल और ओडिसा तक में समान रूप से लोकप्रिय हैं। नागार्जुन, रेणु और रामवृक्ष बेनीपुरी पर उनका गहरा प्रभाव है।


तो आगामी दस दिन तक हम विद्यापति पर एक स्वतंत्र पोस्ट लिखेंगे। आपसे अपेक्षा रहेगी कि हमारा उत्साहवर्धन करेंगे।

विद्यापति


कमेंट बॉक्स में बताइए कि क्या आप इस शृंखला के लिए तैयार हैं।


#विद्यापति #Vidyapati #MaithilKokil #मैथिलकोकिल #साहित्य #कविता #पदावली


एक्स पोस्ट से प्रेरणा

सोमवार, 24 जून 2024

बाबुल मोरा, नैहर छूटो रे जाए!

बाबुल मोरा, नैहर छूटो रे जाए!

बहुत कम लोगों को पता है कि यह शेर 👇अवध के सबसे रंगीले नवाब वाजिद अली शाह ने लिखा ✍️ था। -
"दर-ओ-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं,
ख़ुश रहो अहल-ए-वतन हम तो सफ़र करते हैं।"

यह शेर इस तरह प्रस्तुत हुआ है जैसे कोई क्रांतिकारी फांसी चढ़ने जा रहा हो!

वाजिद अली शाह ने संगीत और नृत्य के क्षेत्र में बहुत मौलिक योगदान किया। वह दरबार में भी नाचता रहता था और खयालों में तल्लीन रहता था। कहते हैं कि जब अंग्रेजों का आक्रमण हुआ तो वाजिद अली ने उत्तराधिकार और तलाक के झगड़े से बचने के लिए अपनी बेगमों को तलाक देना शुरू किया। इन्हीं में, हजरत महल भी थीं। हजरत महल मशहूर रक्कासा थी। बिरजिस कादिर उसका बेटा था। वाजिद अली शाह ने हजरत महल को तलाक दे दिया था। उसने अपनी नौ बेगमों में से छह को तलाक दे दिया था। जब अंग्रेज आए तो दरबार के सभी कारिंदे भाग गए। नहीं भागा तो वाजिद अली। जब सिपाहियों ने उसे पकड़ा तो वह अपने तख्त पर बैठा हुआ था। उसके एक पैर में जूता था और दूसरे पैर का जमीन पर रखा हुआ। सिपाहियों ने पूछा कि तुम क्यों नहीं भागे तो उसने कहा, "कमबख्त जूता पहनाने वाला भाग गया है। मैं बिना जूते के कैसे जाता!" सिपाहियों ने उसे घसीटकर कारागार में बंद किया।

उत्तराधिकार की लड़ाई में हजरत महल बीस पड़ी और उसने अवध का कामकाज संभाल लिया। अंग्रेजों ने तलाकशुदा बेगम और उसके बेटे को उत्तराधिकारी मानने से मना कर दिया और अवध को हड़प लिया। १८५७ की क्रांति के समय हजरत महल ने अवध को बचाने के लिए संघर्ष किया लेकिन अंग्रेजों ने उसे मिटा दिया।


वाजिद अली शाह ने कई ठुमरियां रची। वह उन दुर्लभ कला प्रेमियों में था, जिन्होंने जोकरई के स्तर तक पहुंचकर, मुल्लों की आपत्ति को दरकिनार कर नृत्य और संगीत को प्रश्रय दिया। जब अंग्रेज उसे कैद कर ले जा रहे थे तो वह गा रहा था,

"बाबुल मोरा, नैहर छूटो रे जाए!
बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाये,
बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाये…
चार कहार मिल मोरी डोलिया सजावें,
मोरा अपना बेगाना छूटो जाये।
बाबुल मोरा नैहर छूटो जाये…
आंगन तो पर्वत भयो और देहरी भयी बिदेस,
जाये बाबुल घर आपनो मैं चली पिया के देस,
बाबुल मोरा नैहर छूटो जाये।।"

#मुगल #इतिहास #wazid_ali_shah #वाजिदअलीशाह #अवध #हजरतमहल #बेगमहजरतमहल

सोमवार, 10 जून 2024

मोदी कैबिनेट में मंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 3.0 में गिरिराज सिंह जी को इसबार कपड़ा मंत्रालय दे दिया। हर बार एक नया विभाग। कोई पहचान नहीं बन पाएगी इस तरह!

चिराग पासवान को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय मिला है। अच्छा है। उनकी ऊर्जा का उपयोग होगा। वह बिहार में खेलेंगे, खायेंगे।

जे पी नडा जी को स्वास्थ्य मंत्रालय मिला है। 🤣मजा आएगा।

शिवराज सिंह चौहान को कृषि विभाग मिला है। यह अच्छा वितरण है।

संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय सुरेश गोपी को मिला है। केरल से बदलाव की बयार चलेगी।

सभी बड़े मंत्रालय यथावत हैं गृह, रक्षा, वित्त, रेल, सड़क परिवहन, शिक्षा आदि।



#मोदी3rdTerm में

कैबिनेट मंत्री और उनके विभाग

अमित शाह - गृह और सहकारिता
राजनाथ सिंह - रक्षा
एस जययशंकर - विदेश मंत्री
निर्मला सीतारमण - वित्त और कॉर्पोरेट मामला
नितिन जयराम गडकरी - सड़क एवं परिवहन
अश्विन वैष्णव - रेल, सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी
जेपी नड्डा - स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री; और रसायन एवं उर्वरक
धर्मेंद्र प्रधान - शिक्षा
पीयूष गोयल - वाणिज्य एवं उद्योग
शिवराज सिंह चौहान - कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास
मनोहर लाल खट्टर - आवास एवं शहरी मामला, ऊर्जा
एचडी कुमारस्वामी - भारी उद्योग मंत्री, इस्पात
जीतन राम मांझी - सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग
राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह - पंचायती राज, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी
सर्बानंद सोनोवाल - बंदरगाह, जहाजरानी, जलमार्ग
वीरेंद्र कुमार - सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता 
राममोहन नायडू - नागरिक उड्डयन
प्रह्लाद जोशी - उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा
जुएल ओराम - जनजातीय मामले
गिरिराज सिंह - कपड़ा
ज्योतिरादित्य सिंधिया - संचार, उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास
भूपेंद्र यादव - पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन
गजेंद्र सिंह शेखावत - संस्कृति और पर्यटन
अन्नूपूर्णा देवी - महिला एवं बाल विकास
किरेन रिजिजू - संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामला
हरदीप सिंह पुरी - पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस
मनसुख मांडविया - श्रम और रोजगार और युवा मामले और खेल
जी किशन रेड्डी - कोयला और खनन
चिराग पासवन - खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
सीआर पाटिल - जल शक्ति

बलिदान दिवस पर गुरु अर्जुन देव जी

आज १०जून को पांचवें गुरु अर्जुन देव का बलिदान दिवस है। वह चौथे गुरु रामदास के पुत्र थे। रामदास ने ही अमृतसर का निर्माण करवाया था। अमृतसर में जो सर है उसका आशय है जलाशय। स्वर्ण मंदिर के चतुर्दिक जो सरोवर है, वही अमृतसर है। पहले इसका नाम रामसर था।

गुरु अर्जुन देव का जीवन बहुत रचनात्मक था। उनकी सबसे अधिक कविताएं हैं। गुरु ग्रंथ साहिब में सबसे अधिक पद गुरु जी के हैं। 

उनकी शिक्षाओं का बहुत सकारात्मक प्रभाव शहजादा खुसरो पर था और वह सिख धर्म में दीक्षित होना चाहता था। तथाकथित न्यायप्रिय कहा जाने वाला बादशाह जहांगीर इससे रूष्ट हुआ और उसने गुरु अर्जुन देव को बहुत यातनाएं दी। ध्यातव्य है कि जहांगीर के अब्बा अकबर बादशाह ने दीन ए इलाही चलाया था और सर्वधर्म समभाव की नीति का अनुपालन करने वाला था लेकिन उसके बेटे जहांगीर ने खुसरो को सिख मत स्वीकार करने से न केवल रोका अपितु पांचवे गुरु अर्जुन देव की हत्या कर दी।



सबको ज्ञात है कि सिखों के नवें गुरु तेग बहादुर को औरंगजेब ने धर्म की रक्षा करने के लिए ही मरवा दिया था। तब गुरु गोविंद सिंह ने सिखों के सैन्य प्रशिक्षण का भार लिया और हर हिन्दू परिवार से एक सदस्य को लेकर सिख सेना बनाई।

आज भले सिख समुदाय के लोग सिकुलर बनकर हिन्दुओं से घृणा रखने लगे हैं, लेकिन यह सच है कि सिखों और हिंदुओं का आपसी तत्त्व एक है।

आज गुरु अर्जुन देव के बलिदान दिवस पर प्रयागराज में लंगर और छबील जल पिलाने की व्यवस्था दिखी। सिख समुदाय के लोग बहुत श्रद्धा से उन्हें याद कर रहे हैं लेकिन उन्हें इतिहास के सबक से विच्छिन्न कर।


बलिदान दिवस पर गुरुजी का पुण्य स्मरण।


#ArjunDev #GuruArjunDev #गुरु_अर्जुन_देव #गुरुअर्जुनदेव 

#पांचवें_गुरु_अर्जुन_देव 

#सिख_धर्म #मुगल #जहांगीर

रविवार, 9 जून 2024

संकट में इजराइल

इजरायल ने अपने चार बंधकों को मुक्त करा लिया है। यह बंधक 7 अक्टूबर से हमास के कब्जे में थे। कल इजराइल ने एक अभियान किया और इसमें, एक अनुमान के अनुसार लगभग ढाई सौ हमास के समर्थक मारे गए हैं। अभी इजराइल के एक सैकड़ा लोग बंधक हैं।

इजराइल जिस सुनियोजित तरीके से अपना अभियान चला रहा है, वह सैन्य विज्ञान के लोगों के अध्ययन के लिए भी उपयोगी है।

दुनिया भर में अलग थलग पड़ने के संकट के बीच जिस तरह से बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरानी राष्ट्रपति को ठिकाने लगाया, लेबनान और मिश्र का मुंह बंद रखा और गजा पटरी को समतल किया वह आज के जमाने में दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति से आ सकता है।


इजराइल एक यहूदी राष्ट्र है और इसका नवीनतम संघ 1948 में बना है। यहूदी समुदाय से ईसाई अलग हुए हैं और कालांतर में इस्लाम भी। इस  प्रकार वह इन दोनों संप्रदायों का जनक है। द्वितीय महासंग्राम 1939-1945 के समय जितना विशृंखलित यहूदी हुए थे, 1948 के बाद उससे अधिक संगठित हुए।


किसी भी राष्ट्र और उसके नागरिकों की मजबूती संकट के समय ही समझ में आती है। जब आपको दिए गए विकल्पों में से चुनना हो तो आप या तो जोखिम लेते हैं अथवा आसान मार्ग। इजराइल ने जोखिम उठाया है।


मैं इस कसौटी पर भारत को अभी नहीं कसना चाहता।


इजराइल के आगामी दिन अधिक चुनौतीपूर्ण हैं। क्योंकि #AlleyesonRafah के साथ हमारी दृष्टि भी उधर ही है।




शनिवार, 8 जून 2024

राजनीति और कूटनीति

 मुझे पता नहीं है कि मैं सही दिशा में सोच रहा हूं या नहीं। आप एकबार ध्यान से पढ़कर मुझे करेक्ट करिएगा।

यह ताजा छवि मीडिया में आई है। इसमें सुभासपा के अध्यक्ष और प्रदेश सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा के साथ बैठे हुए हैं।

ओमप्रकाश राजभर और दिनेश शर्मा 


वैसे तो यह मेल स्वाभाविक है लेकिन सोफा और स्टूल का जो विमर्श पिछले दिनों से स्पेस में है, उसे देखते हुए यह विशिष्ट है।

सबसे पहले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से यह स्टूल विमर्श चला था। अभी #लोकसभा_आमचुनाव_2024 के बाद इंडी गठबंधन के अखिलेश जी के मामले में भी सोफा और स्टूल प्रकरण उठा। ओमप्रकाश राजभर को कल nda की सभा में पीछे जगह मिली थी तो वह भी छवि भी विमर्श में आ गई।

इन छवियों से किसी एक की मानहानि की जाती है।

क्या डॉ दिनेश शर्मा के यहां सोफा नहीं है? ओमप्रकाश राजभर को इतना निकट बैठकर क्या विमर्श करना है? इसी क्षण की छवि क्यों उतारी जाती है? उसे मीडिया में प्रसारित किया जाता है! क्यों??


ध्यान से देखने पर पता चलता है कि यह भेदभाव और हीन दिखने वाली छवियां एक रणनीति/कूटनीति के अंतर्गत जारी की जाती हैं। जब ओमप्रकाश राजभर की राजनीति डूब रही है, उनकी छवि दरक रही है तो यह संजीवनी दिनेश शर्मा के यहां से अर्जित की गई है।

दुर्योग से इसे विरोधियों के पास भेजकर प्रसारित कराया जाता है ताकि इस पर खूब बहसा बहसी हो। सत्ता पक्ष के लोग किस प्रकार बचाव कर रहे हैं, उस ताप को महसूस किया जा सके। इस ताप से अहमियत का पता चलता है।

अपने लोगों को लामबंद करने में मदद मिलती है। सभी बड़े नेता इस कूटनीति का अंग होते हैं। कोई न कोई इसका अंग बन जाता है।


इसलिए मेरा मानना है कि इन कूटनीतिक चालों को समझना चाहिए और अपना दबदबा बनाए रखने वाले इको सिस्टम को उजागर करना चाहिए।


एक उद्देश्य यह लिखने का यह भी है कि हम समझ सकें कि यह सब कैसे काम करता है।


कि मैं झूठ बोल्या??


#राजनीति #PakvsUSA #NEDCAN #KathLinInCinemaPoland #omprakashrajbhar

शुक्रवार, 7 जून 2024

इंडी गठबंधन का प्रचार तंत्र

इंडी गठबंधन का प्रचार तंत्र इतना जबरदस्त है कि कंगना रनौत पर सुरक्षाकर्मी द्वारा किए गए घात को विभिन्न हैंडल्स से नए नए कोण देकर समर्थन दिया जा रहा है। बौद्धिक महारथी भी इसमें कूद गए हैं। एक विद्वान ने तो कहा कि "अच्छा गाल छुआ जाता है, थपड़ियाया नहीं जाता।" कुंठा नेक्स्ट लेवल।

खैर! यह ज्ञान होते हुए भी कि कांग्रेस ने एक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सुरक्षा बलों की संरक्षा में ही खोया है। एक अन्य प्रधानमंत्री राजीव गांधी को गाॅर्ड ऑफ ऑनर के समय पिटते हुए देखा है।

यह देखकर लगता है कि कांग्रेस के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या एक राजनीति भर थी। उसने उस घटना से कोई सबक नहीं लिया है। वह कंगना रनौत पर हुए हमले को समर्थन देकर ऐसी घटनाओं को हवा देना चाहती है। लेकिन यह सोचना चाहिए कि यह सब उनके गले भी पड़ सकता है। कल राहुल गांधी ने पत्रकार वार्ता में बीजेपी की लाइन कहकर जिस प्रकार बाधा पहुंचाई, किसी दिन कोई पत्रकार ही माइक चलाकर मार देगा।


कानून का राज बना रहे। एक सभ्य समाज के लिए यही वरेण्य होना चाहिए।


नया समर्थन राकेश टिकैत की ओर से मिला है।


राकेश टिकैत




#KangnaRanaut

इतना दृष्टिहीन मत हो जाइए कि अपने ही गड्ढे कब्रगाह बन जाएं।

इतना दृष्टिहीन मत हो जाइए कि अपने ही गड्ढे कब्रगाह बन जाएं।

स्वर्ण मंदिर पर आक्रमण, भिंडरावाले का सफाया करने से खिन्न अंगरक्षकों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या

लिट्टे के दमन के लिए श्रीलंका में सैन्य अभियान के लिए राजीव गांधी पर सुरक्षाबलों द्वारा जानलेवा आघात

किसानों के उपद्रव पर बयान देने के लिए कंगना रनौत पर सुरक्षाकर्मी द्वारा थप्पड़ मारना

कंगना रनौत 

एक ही कोटि की घटनाएं हैं। किसी सुरक्षाकर्मी द्वारा यह करना अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा है। इसकी एक सुर से निंदा होनी चाहिए और कड़ी कार्रवाई।


एक सभ्य समाज में पी चिदंबरम, अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, कन्हैया कुमार आदि पर हुए हमले की भी कोई जगह नहीं है। हमने केजरीवाल जी द्वारा पी चिदंबरम पर जूता फेंकने वाले को विधायक बनाने पर तीखी आलोचना की थी। हमलावरों का किसी भी तरह से महिमामंडन नहीं होना चाहिए। यहां तक कि कांशीराम द्वारा आशुतोष को मारने की घटना की भी निंदा ही करनी चाहिए।


सोचिए! कल अजित अंजुम, रविश कुमार, अभिसार शर्मा को कोई यह कहकर पीट दे कि यह सब घटिया नैरेटिव चलाते हैं तो आप उसका बचाव कर पाएंगे?


अराजकता को समर्थन देना नाजायज है। दुर्भाग्य से कांग्रेसी भी यह कर रहे हैं जिन्होंने इतनी कीमत चुकाई है। इतना दृष्टिहीन मत हो जाइए कि अपने ही गड्ढे कब्रगाह बन जाएं।




#कंगना_रनौत

#kangnaranaut

कुलविंदर कौर 

सद्य: आलोकित!

श्री हनुमान चालीसा: पांचवीं चौपाई

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे। कांधे   मूंज   जनेऊ   साजे।। पांचवीं चौपाई श्री हनुमान चालीसा की पांचवीं चौपाई में हनुमान जी के स्वरूप को बनाने व...

आपने जब देखा, तब की संख्या.