- पीयूष कान्त राय
"नन्हा राजकुमार" फ्रांसीसी लेखक
सैंतेक्जूपैरि द्वारा मूलतः बच्चों के लिए लिखी गयी किताब है, जिसमें एक 6-7 साल के बच्चे के
माध्यम से तथाकथित द्वितीय विश्व युद्ध के कतिपय
गंभीर विषयों को व्यंग्य द्वारा पेश किया गया है।
सर्वप्रथम सन 1943 ई० में अमेरिका में प्रकाशित हुई इस किताब का पहला पन्ना ही आकर्षित करता है, जहाँ लेखक यह पुस्तक अपने वयस्क मित्र को समर्पित करने से पहले बच्चों से क्षमा माँगते हुए कहता है कि फ्रांस का वयस्क फिलहाल भूख और सर्दी से जूझ रहा है। किसी वयस्क को समर्पित करने हेतु लेखक दूसरा तर्क यह देता है कि "वह सब कुछ समझ सकता है।" दूसरे, तर्क में छिपे व्यंग्य का पता तब चलता है जब लेखक कथावाचक के माध्यम से यह दर्शाता है कि छः साल की उम्र में उसके द्वारा बनाई गई तस्वीर को आज तक किसी वयस्क ने नहीं समझा जिसमें अजगर एक हाथी को निगलकर पचाने की कोशिश करता है। अजगर के पेट में हाथी एक विशेष प्रतीक है।अजगर के पेट में हाथी दिखाने के पीछे शायद लेखक की संभवत: मंशा यह भी रही हो कि द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने फ्रांस के एक बड़े भाग को अपने कब्जे में ले रखा था जिसे पचा पाना उसे मुश्किल हो रहा था।
नन्हा राजकुमार |
इस कहानी का रोमांच शुरू होता है सहारा के रेगिस्तान से, जहाँ कथावाचक का जहाज़ खराब हो गया है और उस जहाज़ में वह अकेला होता है। उसके पास सिर्फ 8 दिन तक पीने योग्य पानी बचा है। उसे एक बच्चा मिलता है, प्यारा सा; जो उस निर्जन स्थान पर बिना डर या भय की मुद्रा के कथावाचक को एक भेंड़ की तस्वीर बनाने के लिए कहता है। भेड़ों की एक खास बात होती है कि जहाँ एक भेंड़ चलने लगे सभी उसका अनुसरण करने लगती हैं। यहाँ भी लेखक ने भेंड़ का जिक्र करके दुनिया के अन्धानुसरण की तरफ संकेत किया है और इस तरह कथावाचक का उस बच्चे (नन्हें राजकुमार ) साथ परिचय होता है। जब नन्हें राजकुमार को पता चलता है कि कथावाचक हवाई जहाज़ सहित नीचे गिरा है तब वह हँसता हुआ पूछता है, “तू आसमान से गिरा है?” इसके माध्यम से लेखक ने इस उपन्यास में भद्र लोगों की निकृष्ट सोच को भी बड़े ही कोमलता से दिखाया है।
बातचीत में, कथावाचक को उस 'नन्हें राजकुमार' के विषय मे पता चलता है कि वह किसी दूसरे ग्रह से आया है जो बहुत छोटा है और एक घर जितना ही बड़ा है। वह अपने ग्रह पर बाओबाब के पौधों को लेकर चिंतित है क्योंकि बाओबाब के पौधे बहुत विशाल होते हैं। बाओबाब के पौधों से उसके ग्रह के फटने की भी संभावना है। इन पौधों के एक बार बड़े हो जाने पर नष्ट करना भी मुश्किल होता है। नन्हा राजकुमार बताता है कि प्रत्येक ग्रह पर अच्छे और बुरे दोनों तरह के बीज होते हैं जिन्हें काफी संभाल कर रोपण की आवश्यकता होती है। वास्तव में लेखक यहाँ बच्चों की शिक्षा एवं संस्कारों की बात करता है, जिसे समय-समय पर देखते रहने और उसमें सुधार करते रहने की जरूरत होती है।
उपन्यास में कथावाचक ने कुछ नन्हें राजकुमार की बातों और कुछ अपनी कल्पना से सोचना शुरू किया कि कैसे वह राजकुमार अपने द्वारा लगाए लगे किसी फूल से नाराज होकर अपना ग्रह छोड़ दिया होगा। अनेकों ग्रहों का चक्कर लगाते हुए वह इस ग्रह पर आ गया होगा। आगे की कहानी में एक-एक ग्रह पर नन्हें राजकुमार की उपस्थिति के एवं वहाँ रह रहे लोगों से उसकी बातचीत के द्वारा राज्य, सत्ता, न्याय, सामाजिक व्यवस्था एवं भ्रष्टाचार इत्यादि के विषय मे बात की गई है ।
कई ग्रहों पर अपना ठिकाना ढूंढने में असफल होने के पश्चात यात्रा के सातवें चरण में राजकुमार पृथ्वी पर आता है। राजकुमार का फूल, लोमड़ी एवं लाइनमैन के साथ वार्तालाप के माध्यम से लेखक सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक मूल्यों पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करता है और इस तरह "बच्चों के लिए लिखे गए" इस उपन्यास की गंभीरता का आभास होता है और यह आज 21वीं सदी के तथाकथित आधुनिक दौर में भी प्रासंगिक लगता है।
मूल रूप से फ्रेंच में लिखा गया यह उपन्यास दुनिया के लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवादित हो चुका है। इसकी भाषा न सिर्फ सहजता से कथ्य का बोध कराती है बल्कि इसकी व्यंग्यात्मक शैली पाठकों को बाँधे रखती है।
यह उपन्यास इतना छोटा है कि किसी बड़ी कहानी जैसा लगता है। इतने कम शब्दों में समाज में उपजी कुरीतियों के साथ-साथ सामाजिक मूल्यों को उजागर करना दुनियाँ के कुछ ही लेखकों के सामर्थ्य में है और सैंतेक्जूपैरि को इस कला में महारत हासिल है।
पीयूष कान्त राय |
3 टिप्पणियां:
बहुत शानदार भैया..... हम सबको आपपे गर्व है।
धन्यवाद शिवम तुम्हारा सपोर्ट हमेशा उत्साहवर्धन करता है।
bahut achchhi sameeksha. french upanyas par badhiya kaam #kathavarta ka.
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