शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

कथावार्ता : टेसू और झेंझी : लोक के उत्सव

  शरद पूर्णिमा पर बाहर निकला तो बच्चों ने घेर लिया। सहयोग कीजिये। उनके हाथ में मूर्तियां थीं। मैं इन्हें नहीं जानता था। दरयाफ्त की तो ज्ञात हुआ, यह टेसू और झेंझी थे। यह भी पता चला कि टेसू-झेंझी का विवाह होना है। कौन थे टेसू और झेंझी? इटावा और आसपास के लोक में इनकी कहानियाँ कई कई संस्करणों में हैं।  

टेसू और झेंझी के विवाह का चंदा एकत्र करना एक मजेदार काम है।

टेसू और झेंझी का विवाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के समाज में सहालग के आरम्भ का सूचक है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह देवोत्थान एकादशी से शुरू होता है। गाँव-गाँव में यह विवाह रचाया जाता है। उसके लिए चंदा जुटाते हैं। शाम ढले विवाह का उतसाव आरंभ हो जाता है। विधिवत बारात आती है। स्वागत होता हैलोकाचार के सभी कर्मकाण्ड किए जाते हैंलौंडा नाच होता है। यथासामर्थ्य भोज-भात या प्रसाद वितरण होता है। लोग जुटते हैं और यह विवाह सम्पन्न कराया जाता है। 

टेसू (Tesu)

टेसू-झेंझी के विवाह में मुझे यह गीत सुनने को मिला-

          मेरा टेसू झंई अड़ा,

          खाने को मांगे दही बड़ा।

          दही बड़े में पन्नी,

          धर दो बेटा अठन्नी।

         अठन्नी अच्छी होती तो ढोलकी बनवाते,

         ढोलकी की तान अपने यार को सुनाते।

टेसू की टेक

          टेसू और झेंझी का विवाह संपन्न हो जाने पर मिठाई बंटती है। नाच-गाना चलता रहता है।

         दूल्हा राजा बने हैं टेसू

शरद पूर्णिमा पर खीर भी बनती है। कहते हैंआज चन्द्रमा से अमृत बरसता है। सबसे अधिक धवल और उज्ज्वल चन्द्रमा शरद पूर्णिमा का ही रहता है। अपनी प्रकृति से हमारा कैसा घनिष्ठ रिश्ता है। सभ्यता के आदिकवि महर्षि वाल्मीकि की जयन्ती भी शरद पूर्णिमा पर ही पड़ती है। वह रामकथा के सबसे पहले उद्गाता हैं।


          भारत में लोक के पास हजारो मौके हैं- उत्सव के। हमने इन्हें 'लोकलही रहने दिया है। 'ग्लोबलकरते तो 'भेलेन्टाइनसे अधिक अपीलिंग आख्यान गली-गली  मिल जाते। हमने इसे जिया है- दूसरों के लिए जाल नहीं बनाया है। यही बात हमारी सनातनता को अधिक समृद्ध और श्रेष्ठ बनाती है। हम विश्व-बन्धुत्व और सर्वे भवन्तु सुखिन: के ध्वजवाहक बनते हैं।

 

-डॉ रमाकान्त राय

असिस्टेंट प्रोफेसर, हिन्दी

राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय,

इटावा, उत्तर प्रदेश 206001

9838952426royramakantrk@gmail.com

 

 

4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

हमने इसे जिया है, दूसरों के लिए ज़ाल नहीं बनाया है।हम लोगों ने मार्केटिंग नहीं की है

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुंदर 👌

Shivam ने कहा…

Tesu and jhenjhi. Wow! Kathavarta, Dr ramakant roy, etawah ki badhiya parmpara

Unknown ने कहा…

Nice. Our story.
Tesu and jhenjhi

Kathavarta
Dr Rama Kant Roy

सद्य: आलोकित!

सच्ची कला

 आचार्य कुबेरनाथ राय का निबंध "सच्ची कला"। यह निबंध उनके संग्रह पत्र मणिपुतुल के नाम से लिया गया है। सुनिए।

आपने जब देखा, तब की संख्या.