मंगलवार, 26 जनवरी 2010

एक छोटी सी बात : रक्तदान की

          इससे पहले कि मैं आपसे घर से लौट कर आने की बात करूँ; आज की एक छोटी लेकिन महत्त्वपूर्ण बात आपसे साझा करना चाहता हूँ। आज गणतन्त्र दिवस है, लोकतंत्र का उत्सव पर्व! और आज ही मुझे मौका मिला कि मैं रक्तदान करूँ। 

          हालांकि मुझे थोड़ी सी हिचकिचाहट हुई। अरे नहीं! इसलिए नहीं कि मैं डरा, बल्कि इसलिए कि कल मेरी एक परीक्षा है और मुझे कल ही २ दिन के लिए दिल्ली भी जाना है। वहां भी एक परीक्षा है और फिर वापस ३१ जनवरी को इलाहाबाद में। तो मैं डरा। लेकिन चूँकि यह एक अच्छा मौका था कि इस दिन एक ऐसा काम हो जो यादगार हो, जिसमें दूसरे व्यक्ति का हित हो, निःस्वार्थ हो तो मैंने किया। और ये भी कि मैं बिलकुल ठीक हूँ।

          बाकी की बातें ३१ के बाद.....


कोई टिप्पणी नहीं:

सद्य: आलोकित!

सच्ची कला

 आचार्य कुबेरनाथ राय का निबंध "सच्ची कला"। यह निबंध उनके संग्रह पत्र मणिपुतुल के नाम से लिया गया है। सुनिए।

आपने जब देखा, तब की संख्या.