शनिवार, 2 जनवरी 2010

कथावार्ता की पहली पोस्ट

नया साल २००९ की हार्दिक बधाइयाँ।

नव वर्ष के सुअवसर पर प्रस्तुत है प्रसिद्ध कवि हरीशचन्द्र पाण्डेय की कविता-

 

झाड़ियों के उलझाव से

बाहर निकलने की कोशिश में

बैलों के गले में बँधी घंटियाँ बोल उठीं

नया साल मुबारक हो

 

बिगड़ी गाड़ी को

बड़ी देर से ठीक करने में जुटा मैकेनिक

गाड़ी के नीचे से उतान स्वरों में ही बोला

नया साल मुबारक हो

 

बरसों से मंगली लड़का ढूँढ़ते-ढूँढ़ते परेशान माँ-बाप को देख

नींबू के पत्ते की नोक पर ठिठकी

जनवरी की ओस ने कहा

नया साल मुबारक हो

 

कल बुलडोजर की आसानी के लिए

आज घर को चिह्नित करते कर्मचारी को देख

घर का छोटा बच्चा दूर से ही बोला पंचम में

नया साल मुबारक हो अंकल

नया साल मुबारक हो...


- कथावार्ता की प्रस्तुति!

सद्य: आलोकित!

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