रविवार, 25 फ़रवरी 2024

ऐतरेय ब्राह्मण, तृतीय अध्याय से दो श्लोक

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कलिः शयानो भवति संजिहानस्तु द्वापरः ।

उत्तिष्ठस्त्रेता भवति कृतं संपद्यते चरंश्चरैवेति ॥ 


[शयन की अवस्था कलियुग के समान है, जगकर सचेत होना द्वापर के समान है, उठ खड़ा होना त्रेता सदृश है और उद्यम में संलग्न एवं चलनशील होना कृतयुग/सत्ययुग के समान है । अतः तुम चलते ही रहो!] 

उज्जैन 


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आस्ते भग आसीनस्योर्ध्वस्तिष्ठति तिष्ठतः ।

शेते निपद्यमानस्य चराति चरतो भगश्चरैवेति ॥ 


[जो मनुष्य बैठा रहता है उसका सौभाग्य भी रुका रहता है। जो उठ खड़ा होता है उसका सौभाग्य भी उसी प्रकार उठता है। जो शयनरत रहता है उसका सौभाग्य भी सो जाता है। और जो विचरण करता है उसका सौभाग्य भी चलने लगता है। अतः तुम चलते ही रहो!] 


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ऐतरेय ब्राह्मण, तृतीय अध्याय


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शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

Chintha Chettu : The Tamarind tree

Chintha Chettu is Tamarind tree in Telugu. Chintha is Tamarind and Chettu is tree.

तानसेन की समाधि पर उत्कीर्ण लेख


now read the lesson. 



Chintha Chettu


Chintha Chettu is a tamarind tree.

This famous tamarind tree is in Gwalior.

It grows over Tansen’s tomb.

Tansen was a great singer.

People in Gwalior say:

"Eat the leaves of this tamarind tree

And you’ll also sing like Tansen!"

शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

म्लेच्छ : मानस शब्द संस्कृति

 

म्लेच्छ : मानस शब्द संस्कृति

गीधराज सुनि आरत बानी।
रघुकुल तिलक नारि पहिचानी।।
अधम निसाचर लीन्हें जाई।
जिमि मलेछ बस कपिला गाई।।

यह ध्यातव्य है कि तुलसीदास ने रावण द्वारा सीताहरण प्रसंग में पहली बार #म्लेच्छ शब्द का प्रयोग किया है। सूरदास के गुरु बल्लभाचार्य ने भी मलेच्छाक्रांतदेशेषु कहा है। यह विदेशी आक्रमणकारियों के लिए पर्याय था।
रावण का उल्लेख होते ही तुलसीदास जैसे क्रोध में भर जाते हैं। चोर, भड़ियाई, अधम, निशाचर, #म्लेच्छ आदि संज्ञाओं और उपमाओं से उसे बताना चाहते हैं। सीता को रावण ऐसे ले जा रहा था जैसे कपिला गाय म्लेच्छों के हाथ लग गई हों। तुलसीदास देश में गौहत्या, स्त्रियों के बलात हरण से सुपरिचित हैं।

#मानस_शब्द #संस्कृति

गुरुवार, 22 फ़रवरी 2024

लक्ष्मण रेखा: मानस शब्द संस्कृति

लक्ष्मण रेखा : मानस शब्द संस्कृति 


बचन जब सीता बोला।

हरि प्रेरित लछमन मन डोला।।

बन दिसि देव सौंपि सब काहू।

चले जहां रावन ससि राहू।।

स्वर्णमृग के आर्तस्वर को सुनकर सीता जी ने लक्ष्मण को मर्म वचन कहे। लक्ष्मण सीता को "वन और दिशाओं को सौंपकर" श्रीराम की सुधि लेने गए।
यहां लोक में #लक्ष्मणरेखा की चर्चा मिलती है। वह रेखा जिसे लक्ष्मण खींच गए थे और कहा था कि इसे पार नहीं करना है। जिसे रावण पार नहीं कर सकता था।#श्रीरामचरितमानस में यह युक्ति अथवा पद नहीं है।

#मानस_शब्द #संस्कृति

बुधवार, 21 फ़रवरी 2024

पञ्चवटी : मानस शब्द संस्कृति

 

पञ्चवटी : मानस शब्द संस्कृति

पावन पंचवटी तेहि नाऊँ।।

दंडकारण्य में गोदावरी नदी तट पर पांच विशाल वट वृक्ष वाले स्थान का नाम #पञ्चवटी है। यहीं गीधराज जटायु से भेंट हुई। यहीं सूपनखा आई और फिर स्वर्णमृग, मारीच वध तथा सीता हरण हुआ। यह स्थान श्रीराम के जीवन में बड़े उतार चढ़ाव की भूमि है।

#मानस_शब्द #संस्कृति


मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

ज्ञान : मानस शब्द संस्कृति

 

ज्ञान : मानस शब्द संस्कृति 

ग्यान मान जहँ एकउ नाहीं।
देख ब्रह्म समान सब माहीं।।

ज्ञान क्या है? दुनिया की सभी सभ्यताओं में इसके अभिलाषी हैं। #श्रीरामचरितमानस में कहा गया है कि #ज्ञान वह है जहां मान, दंभ, हिंसा, टेढापन आदि एक भी दोष न हो और जो सबमें समानरूप से ब्रह्म को देखता है।
श्रीमद्भागवतगीता में मनुष्य के 18 दोष गिनाए गए हैं। इन दोषों से मुक्त होना ही #ज्ञान है। जो भी इन दोषों से मुक्त हो जाता है, परमपद को प्राप्त हो जाता है। इस निमित्त इंद्रिय निग्रह के लिए कहा गया है। नित्य अध्यात्म की स्थिति को चुनना और तत्त्व को जानना होता है।

#संस्कृति

#मानस_शब्द #संस्कृति


अथ गधा की कथा

 जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता हैं । हम जब किसी आदमी को पल्ले दरजे का बेवकूफ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहते हैं । गधा सचमुच बेवकूफ हैं, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी हैं, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता । गायें सींग मारती हैं, ब्याही हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती हैं । कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर हैं, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ जाता हैं, किन्तु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना । जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो, पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा । उसके चहरे पर एक स्थायी विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गये है, पर आदमी उसे बेवकूफ कहता हैं। सद् गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित् सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं हैं। देखिये न, भारतवासियों की अफ्रीका में क्यों दुर्दशा हो रही है। क्यों अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता? बेचारे शराब नहीं पीते, चार पैसे कुसमय के लिए बचाकर रखते हैं, जी तोड़कर काम करते हैं, किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम हैं। कहा जाता हैं, वे जीवन के आदर्श को नीचा करते हैं। अगर वे ईट का जवाब पत्थर से देना सीख जाते तो शायद सभ्य कहलाने लगते। जापान की मिसाल सामने हैं । एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।


लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी हैं, जो उससे कम गधा हैं और वह है बैल । जिस अर्थ में हम गधा का प्रयोग करते हैं, कुछ उसी से मिलते-जुलते अर्थ में 'बछिया के ताउ' का भी प्रयोग करते हैं। कुछ लोग बैल को शायद बेवकूफों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे, मगर हमारा विचार ऐसा नहीं हैं। बैल कभी-कभी मारता भी हैं और कभी-कभी अड़ियल बैल भी देखने में आता हैं। और भी कई रीतियों से अपना असंतोष प्रकट कर देता है, अतएव उसका स्थान गधे से नीचा है।-- प्रेमचंद। दो बैलों की कथा में.


अमिताभ बच्चन द्वारा गुजरात वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में गधों का प्रचार इससे बहुत प्रभावित है और माननीय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बयान किससे प्रभावित है, आप तय करें। मेरी अपील है कि उनसे मुनासिब बेरहमी से पेश आयें। 


तीसरा स्थान यू नो.....

सद्य: आलोकित!

श्री हनुमान चालीसा शृंखला : ग्यारहवीं चौपाई

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। सब सुख लहे तुम्हारी सरना। तुम रक्छक काहू को डरना।। भाग - 13 ग्यारहवीं चौपाई। श्री हनुम...

आपने जब देखा, तब की संख्या.