बुधवार, 5 जुलाई 2023

यूरोप और हम

 हमारे गाजीपुर में गवर्नर जनरल कार्नवालिस बीमार होकर मर गया था। उसका शव जिला मुख्यालय लाकर दफनाया गया। दैवीयरूप देने हेतु पण्डित, मौलवी, पादरी बुलाए गए, जिनका चिह्न मकबरे पर अंकित है। एक सैनिक को भी दुखी दिखाया गया है।


कार्नवालिस भारत आने से पहले अमेरिका में वाशिंगटन से एक युद्ध 1781 में लड़ आया था और बुरी तरह पराजित होकर आत्मसमर्पण करने पर विवश हुआ था। वह 1786 में भारत आया और तीसरे मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान को हराकर बड़ी कामयाबी पाई। वह भारत में किसानी क्षेत्र में स्थायी बन्दोबस्त के लिए जाना जाता है जिससे कृषक व्यवस्था ही नहीं, देश की अर्थव्यवस्था का चक्र बहुत प्रभावित हुआ। जब वह दूसरी बार जुलाई 1805 में गवर्नर जनरल बनकर आया तो गाजीपुर में उसकी कब्रगाह बन गयी।


कार्नवालिस का मकबरा सुन्दर है। वहाँ कार्नवालिस की एक आवक्ष मूर्ति है।


एक दूसरी घटना न जाने क्यों याद आ रही है। पिछले वर्ष अमेरिका के बाल्टीमोर में भी लोगों ने कोलम्बस की प्रतिमा ढहा दी और जश्न मनाया। कोलम्बस मूलतः इटली का था जिसने अमेरिका की खोज की थी। वह अश्वेत लोगों के निशाने पर तो है ही, उपनिवेशविरोधी लोगों से भी घृणा पा रहा है। अमेरिका में उसकी कई कीमती और सुन्दर मूर्तियाँ ढहा दी गयी हैं। दुनिया भर में उन लोगों के प्रति घृणा चरम पर है जो 'विस्तारवादी' (रहे) हैं।


फ्रांस में बीते दिनों से आगजनी और दंगे हो रहे हैं। जिस किशोर "नाहेल" की पुलिस ने गाड़ी न रोकने पर गोली मार दी थी, वह नाइजीरियाई पिता और मोरक्कन मूल की मां की संतान था। उसकी हत्या के बाद फ्रांस में खूब उपद्रव हो गया।




गुरुवार, 29 जून 2023

श्री हनुमान चालीसा

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। 
बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार। 
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार।।

जय श्री हनुमान


चौपाई 

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
 तुम रक्षक काहू को डर ना।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।। 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 

राम, लक्ष्मण,सीता और हनुमान जी


दोहा 

पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप। 
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप।।

मंगलवार, 20 जून 2023

बजरंग बाण - तुलसीदास विरचित

दोहा-


निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई :
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥ जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥ जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥ बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥ अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥ लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥ अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥ जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥ जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥ ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥ ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥ जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥ बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥ भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥ इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥ सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥ जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥ पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥ बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥ जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥ जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥ चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥ उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥ ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥ ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥ अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥ यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥ पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥ यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥ धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥

दोहा : उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान। बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥

रविवार, 7 मई 2023

साहित्य के रति प्रसंग

• रति–प्रसंग किताब खरीदने को प्रेरित करते हैं. अभी ऐसी ही तीव्र उत्तेजना में प्यारी–सी लेखिका की एक किताब खरीदनी पड़ गई. 

• उसके पेट पर बतख सोई हुई है. योनि बिल्ली है. नायक बिल्ली की तलाश में उसके पेट को छूता है, बतख तैरने लगती है. 

• अफसोस कि पुरुष शिश्न को लेकर चूहे जैसा उपमान अभी गढ़ा जाना बाकी है. 

• जो उत्तेजना सरस सलिल से मिलती थी, वही ‘मुझे चांद चाहिए’ के रति प्रसंग से मिली. कमलेश्वर की किताब ‘जलती हुई नदी’ इसीलिए खरीदी. 

• मेरे जैसे पाठक उत्तेजनाओं की तलाश में पैदा हुए हैं. 

#रतिप्रसंग



रति प्रसंग/चितकोबरा/उपन्यास/मृदुला गर्ग

रति प्रसंगों को एक समय तलाश तलाश कर पढ़ता था. मेरी साहित्य में अभिरुचि ही ऐसे हुई. 

सोचता हूं कि एक लेखक के लिए रति प्रसंग को लिखना कितना चुनौतीपूर्ण रहता होगा, जहां जरा चूके नहीं कि असाहित्यिक हो जाने के खतरे सामने खड़े होते होंगे. यह मौत के कुएं में मोटर साइकिल चलाने जैसा है. आज का प्रसंग मृदुला गर्ग के उपन्यास चितकोबरा से– 

अब उसके ओंठ मेरे ओंठों पर हैं। अपनी जबान से उसने बन्द दरवाजा खोल लिया है और मेरी जबान पर कब्जा कर लिया है। मेरी जबान के तंतु चिनचिना रहे हैं... मैं सिर्फ जबान हूँ !

पर... उसके हाथ मेरे स्तनों पर हैं। दो अँगुलियाँ सिमटकर स्तनाग्र को दबोच लेती हैं और मसलकर झटक देती हैं। मैं जानती हूँ...बस, जरा देर में वह उसे ओठों में समेट लेगा।

वह चाहता होगा, उसके तीन जोड़ी ओंठ हों। एक मेरे होंठों पर रखे, एक-एक उरोजों पर। या दोनों चूचुक एक साथ एक जोड़ी ओंठ में दबोचकर, तीसरा ओठ मेरी टाँगों के बीच उन ओठों पर रख दे, जो इस समय भी उसके आगमन की प्रतीक्षा में तिरमिरा रहे हैं। पर उसके पास सिर्फ एक जोड़ी ओठ हैं, जो इस वक्त उसकी जबान का साथ दे रहे हैं।

अगर मेरा शरीर एक विशाल उरोज होता तो उसे यह दिक्कत न होती। उसके ओंठ और अँगुलियाँ एक साथ मुझे खगोरते।


– मृदुला गर्ग, उपन्यास ‘चितकोबरा’ 

#रतिप्रसंग1



रति प्रसंग/मुझे चांद चाहिए/उपन्यास/सुरेंद्र वर्मा


हर्ष मोहाविष्ट-सा उसके वक्ष को देख रहा था (सिलबिल को खुशी हुई कि कुछ वर्ष पहले दिव्या की सलाह पर उसने रात को सोते समय ब्रा पहने रहना बंद कर दिया था। आकार एवं पुष्टि की दृष्टि से परिणाम बहुत सुंदर निकले। उसने अगले ही दिन दिव्या को पत्र लिखकर आभार व्यक्त किया था)।

"चैपलिन जी क्या सोचेंगे ? वरिष्ठ अभिनेता का लिहाज करना हमारा...”

सिलबिल की बात पूरी नहीं हो पायी। हर्ष ने उसके बायें उरोज को चुंबनों की लड़ी से बाँधते हुए चूचुक को होठों में भर लिया। सीत्कार के साथ सिलबिल की साँस रुक गयी। तलवों से झुनझुनी उठी और पूरे जिस्म को स्पंदित कर गयी....

उसकी जींस का बटन काज से निकला और जिप खुली। "कुमारी कन्या के नीवि-बंधन को न छेड़ो आर्यपुत्र ! "

उन्मादी चुंबनों की श्रृंखला से उसका मुँह बंद करते हुए हर्ष ने एक आतुर हाथ से लेस की पेटी के पार उसके नितंबों को सहलाया... अपने वक्ष पर हर्ष के नग्न सीने का स्पर्श हुआ, तो सिलबिल का गला सूखने लगा। हर्ष की पीठ पर उसकी हथेलियों का दबाव अपने-आप बढ़ गया। मेरे शरीर में ऐसी उन्मत्त बयार बंदी थी, हर्ष ने अपने स्पर्श से ये झरोखे खोले हैं, उसने सोचा।

हर्ष ने बिस्तर पर उसे उलटा और सीधा लिटा कर स्पर्शों और चुंबनों से पूरे शरीर में थरथराहट भर दी। सिलबिल ने अपने भीतर ऐसी तप्त नमी कभी महसूस नहीं की थी। जब हर्ष उसके भीतर प्रविष्ट हुआ, तो सिलबिल की साँस रुक गयी। बंद आँखों वाले चेहरे पर आशंका की छाया तैरी। नवचुंबन से हर्ष ने उसे आश्वस्त किया... कामना और अपनत्व की सिहरन के साथ सिलबिल ने अपने को ढीला छोड़ दिया...


#रतिप्रसंग2

शोध का प्रस्ताव कैसे बनाएं?

* शोध-कार्य-क्षेत्र में सक्रिय जनों को प्राय: ‘सिनॉप्सिस कैसे बनाएँ’ इस समस्या से साक्षात्कार करना पड़ता है। यहाँ प्रस्तुत हैं इसके समाधान के रूप में कुछ बिंदु, कुछ सुझाव :


• आप 2400-2500 शब्दों का एक राइट-अप बनाइए।


• समस्या क्या है? 200 शब्द।


• इसे लोगों ने कैसे देखा है? 200 शब्द, एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में यह बताइए कि अमुक विद्वान ने क्या कहा और क्या कमी है (पूर्ववर्ती शोध कार्य) : 800 शब्द


कमी बतानी है, निंदा नहीं करनी है। इसके लिए आपको संदर्भित काम को ठीक से पढ़ना है। पॉपुलर राइटिंग वाली किताबों को यहाँ रेफ़र करने से बचें, अन्यथा इंटरव्यू के समय आपको दिक़्क़त पेश होगी।


• ख़ाली जगहें जिनका उत्तर देना है। इसे शोध-प्रश्न कहते हैं। ज़्यादा से ज़्यादा तीन या चार शोध-प्रश्न बनाइए : 200 शब्द।

इस जगह यह बताएँ कि किसी विद्वान को पढ़कर आपके मन में वे कौन से सवाल आ रहे हैं, जिनका जवाब आप अपनी पीएचडी में खोजना चाहते हैं।


• इन सवालों का जवाब देने के लिए इतने ही शोध-उद्देश्य : 100 शब्द।


• शोध-प्रविधि : 100 शब्द। इसे बिल्कुल सटीक रखें।


• शोध का महत्त्व क्या है और इसका ज्ञान के सृजन में क्या स्थान होने जा रहा है : 200 शब्द।


• भविष्य में आपके शोध को कौन-कौन समूह पढ़ेंगे : 100 शब्द।


• ग्रंथ-सूची, बहुत संक्षिप्त : 200 शब्द। यहाँ केवल उन किताबों, जर्नल्स, रिपोर्ट्स को लिखें जिन्हें आपने सिनॉप्सिस बनाने में प्रयुक्त किया है।


• शुभकामनाएँ…


  -  Rama Shankar Singh

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

गुड फ्राइडे क्यों और कैसे?

गुड फ्राइडे से संबंधित तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए।


१. उस रोमन शासक का नाम क्या है जिसने ईसा मसीह को सलीब पर टांगने का आदेश किया था?


२. ईसा मसीह का अपराध क्या था? और


३. ईसा मसीह की जन्म तिथि 25 दिसंबर नियत है किंतु सूली पर चढ़ाने की तिथि में घट बढ़ क्यों होती है?


ट्विटर पर गुड फ्राइडे

सोमवार, 3 अप्रैल 2023

भगवान श्रीराम की वंशावली

भगवान श्रीराम की वंशावली



श्रीराम के दादा परदादा का नाम क्या था? नहीं पता तो जानिये श्रीराम के वंशवृक्ष के विषय में!


भगवान श्रीराम का वंशवृक्ष

1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,

2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,

3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,

4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,

5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |

6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,

7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,

8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,

9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,

10- अनरण्य से पृथु हुए,

11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,

12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,

13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,

14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,

15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,

16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,

17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,

18- भरत के पुत्र असित हुए,

19- असित के पुत्र सगर हुए,

20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,

21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,

22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,

23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |

24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |

25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,

26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,

27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,

28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,

29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,

30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,

31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,

32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,

33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,

34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,

35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,

36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,

37- अज के पुत्र दशरथ हुए,

38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |

इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ।

जय श्री राम 🙏


(आकांक्षा परमार के ट्विटर अकाउंट से साभार)

सद्य: आलोकित!

श्री हनुमान चालीसा शृंखला : दूसरा दोहा

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार। बल बुधि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।। श्री हनुमान चालीसा शृंखला। दूसरा दोहा। श्रीहनुमानचा...

आपने जब देखा, तब की संख्या.