हमारे गाजीपुर में गवर्नर जनरल कार्नवालिस बीमार होकर मर गया था। उसका शव जिला मुख्यालय लाकर दफनाया गया। दैवीयरूप देने हेतु पण्डित, मौलवी, पादरी बुलाए गए, जिनका चिह्न मकबरे पर अंकित है। एक सैनिक को भी दुखी दिखाया गया है।
कार्नवालिस भारत आने से पहले अमेरिका में वाशिंगटन से एक युद्ध 1781 में लड़ आया था और बुरी तरह पराजित होकर आत्मसमर्पण करने पर विवश हुआ था। वह 1786 में भारत आया और तीसरे मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान को हराकर बड़ी कामयाबी पाई। वह भारत में किसानी क्षेत्र में स्थायी बन्दोबस्त के लिए जाना जाता है जिससे कृषक व्यवस्था ही नहीं, देश की अर्थव्यवस्था का चक्र बहुत प्रभावित हुआ। जब वह दूसरी बार जुलाई 1805 में गवर्नर जनरल बनकर आया तो गाजीपुर में उसकी कब्रगाह बन गयी।
कार्नवालिस का मकबरा सुन्दर है। वहाँ कार्नवालिस की एक आवक्ष मूर्ति है।
एक दूसरी घटना न जाने क्यों याद आ रही है। पिछले वर्ष अमेरिका के बाल्टीमोर में भी लोगों ने कोलम्बस की प्रतिमा ढहा दी और जश्न मनाया। कोलम्बस मूलतः इटली का था जिसने अमेरिका की खोज की थी। वह अश्वेत लोगों के निशाने पर तो है ही, उपनिवेशविरोधी लोगों से भी घृणा पा रहा है। अमेरिका में उसकी कई कीमती और सुन्दर मूर्तियाँ ढहा दी गयी हैं। दुनिया भर में उन लोगों के प्रति घृणा चरम पर है जो 'विस्तारवादी' (रहे) हैं।
फ्रांस में बीते दिनों से आगजनी और दंगे हो रहे हैं। जिस किशोर "नाहेल" की पुलिस ने गाड़ी न रोकने पर गोली मार दी थी, वह नाइजीरियाई पिता और मोरक्कन मूल की मां की संतान था। उसकी हत्या के बाद फ्रांस में खूब उपद्रव हो गया।
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