मंगलवार, 30 दिसंबर 2025

रावनु रथी बिरथ रघुबीरा।

मेघनाद वध की सूचना पाकर रावण मूर्छित हो भूमि पर गिर गया।मंदोदरी विलाप करने लगी। सब रावण को नीच कहने लगे। तब रावण ने सभी नारियों को समझाया और अगली सुबह उसने अपनी सेना सजाई। सबसे कह दिया कि जिसका मन डांवाडोल है, वह अभी यहां से चला जाए। उसने फिर विविध तरीके से सेना का उत्साह बढ़ाया।

जब वह युद्ध भूमि में उतरा तो उसे रथवान देखकर विभीषण चिंतित हो गए-


रावनु रथी बिरथ रघुबीरा। देखि बिभीषन भयउ अधीरा।।

अधिक प्रीति मन भा संदेहा। बंदि चरन कह सहित सनेहा।।

नाथ न रथ नहिं तन पद त्राना। केहि बिधि जितब बीर बलवाना।।

सुनहु सखा कह कृपानिधाना। जेहिं जय होइ सो स्यंदन आना।।

सौरज धीरज तेहि रथ चाका। सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका।।

बल बिबेक दम परहित घोरे। छमा कृपा समता रजु जोरे।।

ईस भजनु सारथी सुजाना। बिरति चर्म संतोष कृपाना।।

दान परसु बुधि सक्ति प्रचंड़ा। बर बिग्यान कठिन कोदंडा।।

अमल अचल मन त्रोन समाना। सम जम नियम सिलीमुख नाना।।

कवच अभेद बिप्र गुर पूजा। एहि सम बिजय उपाय न दूजा।।

सखा धर्ममय अस रथ जाकें। जीतन कहँ न कतहुँ रिपु ताकें।।


दोहा/सोरठा

महा अजय संसार रिपु जीति सकइ सो बीर।

जाकें अस रथ होइ दृढ़ सुनहु सखा मतिधीर।।


सुनि प्रभु बचन बिभीषन हरषि गहे पद कंज।

एहि मिस मोहि उपदेसेहु राम कृपा सुख पुंज।।

भगवान श्रीराम ने तब बताया कि जिस रथ से जीत सुनिश्चित होती है, वह स्यंदन और ही होता है।

युद्ध भूमि में दोनों सेनाएं आमने सामने हुईं तो उधर से रावण ललकार रहा है और इधर से अंगद और हनुमानजी!

उत पचार दसकंधर इत अंगद हनुमान।
लरत निसाचर भालु कपि करि निज निज प्रभु आन।।

हनुमानजी लड़ाई में रावण के समक्ष भी खड़े हैं। निर्भीक। अभय। अडिग।



#हनुमानजी को हमारा प्रणाम है। #Hanumanji 🙏🙏

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सद्य: आलोकित!

रावनु रथी बिरथ रघुबीरा।

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